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इंडियन नेवी का घिनौना, चरित्रहीन और मर्दवादी चेहरा ।

By Tara Shanker:

बचपन में एक मित्र से सुना था कि नेवी और आर्मी में बड़े अफसरों की पार्टी में पत्नियों की अदला-बदली होती है। कल ही एक मित्र ने बताया कि उसके जीजा नेवी में हवलदार हैं और उन्होंने ने भी इस बात का ज़िक्र किया था। सुजाता साहू के हालिया मामले ने इस बात को पूरी तरह उजागर कर दिया है। सुजाता साहू (केरल) नेवी के एक अफसर की पत्नी हैं जिन्होंने इस महिला विरोधी और जघन्य कुकृत्य का विरोध किया वो भी अपने ही पति और उनके अफसरों के खिलाफ केस दायर करके! सबसे पहले उनके इस अदम्य साहस को सलाम। उलटे उस पर फर्जी केस दायर कर जेल ठूंस दिया गया और उसे मारा-पीटा भी गया। JNU छात्रों के विरोध के बाद किसी तरह उसको ज़मानत मिल पायी है।

इस मामले से इंडियन नेवी का एक कुरूप चेहरा सामने आया है। आइये इस मामले को थोड़ा विस्तार से समझने की कोशिश करें। ऐसे मामले न सिर्फ शर्मनाक हैं बल्कि घृणित भी हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि पत्नियों की अदला-बदली (वाइफ स्वापिंग) नेवी में एक परंपरा की तरह रूप दे दिया गया है। ऐसा हर साल होता है। सबसे बुरी बात तो ये कि इसमें औरत को महज एक भोग-विलास की वस्तु बना दिया गया है जो न सिर्फ अनैतिक बल्कि गैरकानूनी और असंवैधानिक भी है। अब सवाल ये उठता है कि इसमें दोषी किसे ठहराया जाए? उस ऑफिसर को जिसने अपनी पत्नी को ऐसा करने के लिए मजबूर किया या फिर उसके सीनियर ऑफिसर को जिन्होंने उसे ऐसा करने पे मजबूर किया? या फिर पूरी इंडियन नेवी को ही? क्योंकि ये बात इंडियन नेवी का हर अदना सा सैनिक भी जानता है लेकिन आज तक इसका विरोध किसी ने नहीं किया। जान-बूझकर गलत होते देखना भी अपराध है। ऐसा भी सुनने में आया है कि ऐसे पार्टी में आने के लिए बाकायदा इनविटेशन भेजा जाता है। इसलिए ऐसे कुकृत्य के लिए पूरी इंडियन नेवी सामूहिक रूप से ज़िम्मेदार है। गृह मंत्रालय और सुरक्षा मंत्रालय का इस मामले को दबाने के लिए कूद पड़ना और भी शर्मनाक है। फ़र्ज़ कीजिये जब ये काम नेवी के आला अफसर खुद कर रहे हैं तो नीचे के अफसरों और सैनिकों को क्या सन्देश जायेगा इससे।

अनुशासन के डर से अथवा प्रमोशन के लालच से की गयी ऐसी अमानवीय हरकत मन में कोफ़्त पैदा करती है। अब ज़रा सोचिये कि ये कितने बड़े पैमाने पे हो सकता है जब इसके प्रकाश में आने संभावना न के बराबर हो। क्योंकि इसमें खुद अपना हस्बैंड ही शामिल होता है, उस पर बड़े अफसरों का दबाव, प्रमोशन का लालच और सरकार द्वारा नेवी की शील्डिंग अलग से। ऐसे में अगर कोई महिला हिम्मत करके विरोध भी दर्ज करे तो उसके जीतने की संभावना न के बराबर होती है। अगर उसका पति भी इसमें उसके साथ रहे तो भी कैसे अपने सीनियर अफसरों की नाफ़रमानी करेगा? और इसीलिए ऐसे ज़्यादातर मामलों में सेक्स के लिए सहमति नहीं बल्कि डर होता है और IPC की धारा 376 (रेप) के अनुसार डर से दी गयी सेक्स-सहमति बलात्कार की श्रेणी में आता है। इस सब को देखते हुए सुजाता की हिम्मत और जज्बे को सलाम। माना कि नेवी देश की सुरक्षा करती है लेकिन इसके बदले उसे ऐसे अपराध करने की छूट कत्तईं नहीं मिल सकती। उससे तो देश के सामने उच्च आदर्श स्थापित करने की अपेक्षा की जाती है, ऐसे कायराना, घटिया आदर्श नहीं। ये लड़ाई दूरगामी है, लम्बी है, हम सबको सुजाता का साथ देना चाहिए।

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