चचा वेलकम टू इन्डिया!
अब आप हमारे मुल्क आये हैं तो हमने सोचा हम भी आपकी जुबान में आपको अस्सलामवालेकुम कहते चलें|
सच बताऊँ, तो आपका आना एक गज़ब की बात हुई है| आप तो शायद टी.वी. नहीं देखते होंगे, लेकिन बताता चलूँ कि पूरे मुल्क में आप छा चुके हैं| आप समझ लीजिए कि शाहरुख, सलमान, आमिर- सब पर भारी आप हैं| और आपने जो टी.आर.पी. दी है इन टी.वी. वालों को, कि आने वाले कुछ दिन तक काम कि खबर (किसान भी तो मरते हैं इस देश में!) भी दिखलायेंगे तो भी इनका नुक्सान नहीं होगा|
दूसरी बात ये कि आपका आना इस मुल्क के लिए खास है| हमें लगने लगा है कि असल में अब अच्छे दिन आ चुके हैं| अरे, ये अच्छे दिन का भरोसा मोदी साहब ने दिया था| लेकिन इस मुल्क में क्या अच्छे दिन! अच्छे दिन तो होते हैं न्यू योर्क में, वाशिंगटन में (और ज्यादा शहरों की जानकारी नहीं है बड़े मियाँ!), जो कि हमने बेमिसाल अंग्रेजी फिल्मों में देख रखी है| मोदी साहब आपकी फिल्में नहीं देखते शायद, इसलिए अच्छे दिन आ नहीं पा रहे| आपसे गुज़ारिश है कि आप उन्हें एक-आध अंग्रेजी फिल्में दिखला दीजिए इस दफा- जेम्स बोंड वाली (आपको शायद पता ना हो, हिन्दुस्तान के असली ‘बोंड 007’ वही हैं)!
चचा, शर्म आती है हिन्दुस्तान को अपना मुल्क कहते हुए| वैसे आपको ये हमारे शर्म का अंदाज़ा शायद ही मिल पाए, क्योंकि जिस गली से आप गुजरेंगे वो तो पहले ही शंघाई, इंग्लैंड या वाशिंगटन हो चुकी है| असल दिल्ली तो आप घूम भी नहीं पायेंगे| और असल हिंदुस्तान तो बड़े मियाँ मुश्किल ही है| आपको शायद याद हो, हमारे चचा मंटो साहब भी आपसे शिकायत करते थे, यहाँ और पाकिस्तान के हालत के बारे में| अब तो आप आ गए और कई जगह सैर-सपाटा भी करेंगे हमारे मोदी साहब के साथ| मज़ा आ जाता अगर हमें मौका मिलता आपके साथ सैर-सपाटा करने का|
असल मुद्दा, जिसके लिए आप आये हैं, वो तो अब किसी को याद भी नहीं| आज इस मुल्क का छियासठवाँ गणतंत्र दिवस है| बात बड़ी है, लेकिन हमारे लिए एक सोमवार की छुट्टी से कुछ खास बड़ी नहीं है| चचा सैम, कभी मौका मिले तो कश्मीर में जाइए ऐसे दिन, या फिर मणिपुर में, छत्तीसगढ़ के भी कुछ इलाके जा सकते हैं| सच कहूँ, कहानी बदल जायेगी| लेकिन आपसे भी इतनी उम्मीद क्या करें, जब खुद मोदी साहब ही इन इलाकों में नहीं जाते| मोदी साहब तो आपको बड़ा भाई मान बैठे हैं| आप उन्हें कान के नीचे (प्यार से) कांग्रेस छाप देकर बोलियेगा, “कभी इंडिया भी घूम ले बे| सिर्फ इलेक्शन केम्पैन में घूमने से और वोट माँगने से कुछ नहीं होता|” हम अगर यही बात कह दे तो उनके भक्त मार डालेंगे| इसलिए हम ऐसी बात करते ही नहीं| आप कहेंगे तो बात में वजन होगा!
चचा, आप दिल्ली में हैं- और इसी शहर में दो हफ्तों में इलेक्शन होने हैं| कोई केजरीवाल कहता है, कोई मोदी कहता हैं, कोई बेदी कहता है| हम तो कहते हैं ये सब बेवकूफ हैं| आप ही इतनी दूर आये हो तो ये इलेक्शन भी लड़ कर चले जाओ| इनसे कुछ नहीं होने वाला| आप ही बन जाओ यहाँ के सी.एम! आपने दुनिया को ठीक किया है- क्या इराक- अफगानिस्तान, क्या वियतनाम- फिलिस्तीन! चचाजान, इसी बहाने अमरीका वाले कुछ और दूकान भी खुल जायेंगे| वैसे मोदी साहब ये सब कोशिश कर रहे हैं| लेकिन आप खुद आ जाओ तो बात ही अलग होगी! दिल्ली की गलियाँ भी वर्ल्ड-क्लास हो जाएँगी|
इसी उम्मीद के साथ अलविदा कहता हूँ!
अमरीका आने की चाहत में ज़िंदा,
मंटो साहब का भतीजा|