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नाम से श्रध्दालु, पर मन में कोई आस्था नही – त्योहार के नाम पर मनोरंजन

प्रिया तायल

भगवान गणेश हिन्‍दुओं के आराध्‍य देव है, हिन्‍दू धर्म में गणेश को एक खास स्‍थान प्राप्‍त है| भगवान गणेश का जन्‍मदिन गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है जो खासकर महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अब दिल्‍ली में भी यह त्‍योहार मनाया जा रहा है| इस त्योहार के आने से पहले ही कलाकारों की कला बाजार में देखने को मिलती है| कुछ लोग यह त्‍योहार पूरी आस्‍था के साथ मनाते है, लेकिन कुछ इसे मनोरज़न का रूप दे देते है| पहले दि‍न गणपति बापा की मूर्ति पूरी आस्‍था के साथ घर में स्‍थापित की जाती है, एक नए सदस्‍य के रूप में, फिर समयानुसार ऑंखों को नम किये, चहेरे पर मुस्‍कान लि‍ये, अगले साल फिर आने का वादा लेकर पास ही के समुद्र में मूर्ति को वि‍र्सजीत किया जाता है|

चित्र – किरन परमार

विर्सजन के समय कुछ लोगों की ना समझी और लापरवाही कई लोगों के लिए परेशानी खड़ी करती है, गणेश विर्सजन के वक्‍़त अपने आप को श्रध्‍दालु कहने वाले एक हाथ में गुलाल, दूसरे में शराब की बोतल, मुहॅं में गणपति बापा की जगह अपशब्‍द निकालते और ऊॅंची आवाज़ में फिल्‍मी गाने चलाकर उन पर नाचते दिखाई देते है और कुछ तो तेज रफ्तार से बाइक या कार चला कर अपनी और दूसरों की जान खतरें में डालते हैं| इस से जगह – जगह ट्रेफिक़ जाम लग जाता है और लोगों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है| इतना ही नहीं ये श्रध्‍दालु सरकार के मना करने के बाद भी गगां और यमुना नदी में मूर्ति का विर्सजन करते है और मां समान न‍दियों को प्रदूषत करते है| श्रध्‍दालुओं के कारण परेशान हो रहे लोग कभी सरकार पर इल्‍ज़ाम लगाते है तो कभी गणपति बापा को भला – बुरा कहते है|

कुछ लोगों की ही नासमझी से यह त्‍योहार लोगों को खु‍शि‍यों की जगह परेशानी दे जाता है और साथ ही सच्‍चे श्रध्‍दालुओं पर भी सवाल उठते है| मैं लोगों से जानना चाहती हॅूं कि किस किताब में विर्सजन की ऐसी विधि लिखी है कि आस्था के नाम पर न‍दियों को प्रदूषत, मनोरज़न और लोगों को परेशान करें| डर इस बात का है कि एक दिन ऐसा ना हो कि ‘त्‍योहार आए खुशियां लाए’ यह कहावत सिर्फ कहने को रह जाए|

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