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कैसे बनते हैं एक अच्छा क्राईम रिपोटर? जानिए उदयपुर की लकी जैन से

By Khabar Lahariya

Editor’s Note: As part of this new collaboration between Khabar Lahariya and Youth Ki Awaaz, you the readers will get to read stories from the hinterlands of the country’s largest state – Uttar Pradesh. And the reporters of Khabar Lahariya are unique in the way they get these stories to you. Brought out entirely by a collective of rural women, Khabar Lahariya (KL) is the only local language newspaper produced currently in local languages – Bundeli, Awadhi and Bhojpuri. These women report, write, edit, take photographs and design the newspaper and come from some of the most backward districts in Uttar Pradesh. Winner of multiple awards, KL was awarded the Deutsche Welle Global Media Forum Award and Rajasthan Pattrika KC Kulish Award for Excellence in Reporting on Health, most recently.

‘पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है जो आम आदमी से लेकर प्रशासन तक आपकी पहुंच बनाता है। इसीलिए मैं क्राइम रिपोर्टर बनी।’ उदयपुर में दैनिक भास्कर में पिछले दो सालों से अपराध पर रिपोर्टिंग कर रही लकी जैन के अनुसार सजग रहते हुए, ठोस जानकारी के साथ क्राइम रिपोर्टिंग आसानी से की जा सकती है।


आपने अपराध के मामलों पर लिखना ही क्यों चुना?

बचपन से देखती आ रही हूं कि सत्ता से ही पहचान बनती है। यह भी लगता था कि औरतों और पुरुषों में भेदभाव की वजह भी सत्ता है। मुझे यही समझ आया कि पत्रकार बनूं। और सबसे ज़्यादा चुनौती भरी बीट चुनी।

खबरों के लिए स्रोत कैसे बनाती हैं?

पहले तो मैं अपने क्षेत्र के हर थाने और दूसरे प्रशासन के लोगों के बीच अपनी पहचान बनाती हूं। अपने इलाके के लोगों का भरोसा जीतना इससे भी ज़्यादा ज़रूरी है। खबरों का इन्हीं लोगों से मिलता है। पुलिस या प्रशासन तो खबरों की पुष्टि करता हैै। आपको लोग गंभीरता से लें इसके लिए जानकारी का स्तर बहुत अच्छा होना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की सभी धाराओं का हिंदी अनुवाद करके कंप्यूटर के सामने मैंने लगा रखा है। ज़्यादातर तो याद हो चुकी हैं।

क्या शुरू से ही अपराध की खबरें करती हैं आप?

नहीं भास्कर से पहले मैं राजस्थान पत्रिका में थी। राजस्थान पत्रिका में ट्रेनिंग की। मैं वहीं पर अपराध बीट करना चाहती थी। लेकिन मुझसे कहा गया कि लड़कियों को रिपोर्टिंग नहीं बल्कि हल्के-फुल्के मुद्दों पर काम करना चहिए।

कुछ ऐसी खबरें जिन्हें कवर करने के बाद पहचान मिली हो?

खबरें तो कई कीं जिनसे पहचान मिली। लेकिन 2009 में एक खबर की थी, तेज़ाब हमले की। मैंने उसे लगातार छापा। प्रशासन से भी बात की। पर केस दबा दिया गया। लेकिन दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 में हुए सामूहिक बलात्कार के बाद लगा माहौल गरम है। मैंने दोबारा इस मामले को खोल दिया है।

Brought to you in collaboration with Khabar Lahariya.

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