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स्त्रीवादी आंबेडकर की खोज – एक परिचर्चा

संजीव चंदन:

आज 14 अप्रैल, 2016 को देश बाबा साहेब डा. आंबेडकर की 125 वीं जयन्ती मना रहा है। डा. बाबा साहेब आंबेडकर इस देश को सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक बनाना चाहते थे। संविधान निर्माता डा. आंबेडकर दलितों -वंचितों -स्त्रियों को उनके अधिकार दिलवाने के लिए राज्य को नैतिक रूप से जिम्मेवार बनाने के लिए प्रयासरत रहे। यही कारण है कि हिन्दू स्त्रियों को अधिकार दिलवाने के लिए अपने हिन्दू कोड बिल के प्रति वे गंभीर थे और उन्होंने इस बिल को पारित करवाने में तत्कालीन नेहरू सरकार की विफलता के बाद क़ानून मंत्री के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। डा. आंबेडकर 1936 में ही बच्चा पैदा करने के निर्णय पर स्त्रियों के अधिकार के लिए परिवार नियोजन का प्रस्ताव लेकर आये थे और श्रमिक स्त्रियों के लिए मातृत्व -अवकाश की व्यवस्था भी पहली बार उन्होंने ही दिलवाई थी।

आंबेडकर आधुनिक भारत के आदि स्त्रीवादियों में से एक हैं। स्त्रीकाल ने अपने यू ट्यूब चैनल के लिए चर्चित स्त्री बुद्धिजीवियों और स्त्रीवादी कार्यकर्ताओं से स्त्रीवाद के लिए डा.आंबेडकर के मायने पर बातचीत की। परिचर्चा में शामिल स्त्रीवादियों ने डा. आंबेडकर के द्वारा स्त्रियों के लिए किये गये कार्यों की न सिर्फ चर्चा की, वरन यह भी चिह्नित किया कि किस तरह भारत में स्त्री -आन्दोलन ने उनके योगदानों को नजरअंदाज किया है। वे स्पष्ट करती हैं कि डा. आंबेडकर सच्चे अर्थों में स्त्रीवादी थे।

पूरी बातचीत डा. आंबेडकर के द्वारा स्त्रियों के हित में कानूनी-संवैधानिक प्रावधानों की व्यवस्था को चिह्नित करती है और मनु स्मृति दहन के द्वारा स्त्रियों को धार्मिक अनुकूलता से मुक्ति के उनके प्रयास को भी रेखांकित करती है। शिंगनापुर शनि मंदिर में स्त्रियों के प्रवेश को मनु स्मृति दहन के बरक्स देखने की कोशिश की गई है कि क्या यह सच्चे अर्थों में स्त्रीमुक्ति का प्रयास है।

पूरी परिचर्चा कई ऐतिहासिक सवाल खड़े करती है , मसलन: स्त्रीवादी आन्दोलनों ने डा. आंबेडकर के साथ-साथ महात्मा फुले -सावित्रीबाई फुले की उपेक्षा क्यों की ? क्या इस उपेक्षा के पीछे कोई सैद्धान्तिकी थे या स्त्रीवादी आन्दोलनों के नेतृत्व की खुद की जाति-अवस्थिति (पोजिशन)।

आदि परिचर्चा में भाग लिया रजनी तिलक, सुजाता पारमिता, हेमलता माहिश्वर, रजत रानी मीनू और भाषा सिंह ने .बातचीत के सूत्रधार मुन्नी भारती और संजीव चंदन। पूरी बातचीत सुनने -देखने के लिए वीडियो लिंक पर क्लिक करें।

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