Site icon Youth Ki Awaaz

युवाओं की भी सुनें: उ.प्र. मुख्य मंत्री अखिलेश यादव के नाम एक खुला पत्र

राजेश सचान:

Image credit: Reuters/Stringer.

मुख्यमंत्री जी,

आज आप का आगमन उ.प्र. की शैक्षिक राजधानी इलाहाबाद में हो रहा है। मै आशा करता हूँ कि आप इलाहाबाद के व्यस्ततम कार्यक्रम में कुल पल निकाल कर बेरोजगार स्नातकों के दुःख-दर्द को समझने का प्रयास करेंगे। आपको बताते चलें कि इलाहाबाद में 10 लाख से ज्यादा महंगे किराये के कमरों पर रह कर तैयारी करने वाले प्रतियोगी छात्रों में अधिकांश उन किसान परिवारों से आते हैं जिनकी खेती-बाड़ी 25 साल जारी उदारीकरण की नीतियों से चैपट हो चुकी है।

आपके नेतृत्व में सरकार बनने के बाद लाखों पीजीटी-टीजीटी के छात्र इस उम्मीद में रह रहे हैं कि माध्यमिक विद्यालयों में जहां शिक्षकों की भारी कमी है वहाँ भर्ती की जायेगी। परन्तु अफसोस के साथ कहना चाहता हूॅ कि आपके चार साल के कार्यकाल में माध्यमिक व उच्च शिक्षा में एक भी अध्यापक की नियुक्ति नहीं हुई है। मायावती सरकार के समय शुरू की गई 72825 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती अभी तक पूरी नहीं हुई है, टी. ई. टी. के छात्र 72 दिन से शिक्षा निदेशालय पर नियुक्ति प्रमाणपत्र देने की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं। इसी लिए बीटीसी प्रशिक्षुओं ने निदेशालय पर धरना दिया।

लोक सेवा आयोग में भारी धाँधली से लेकर पुलिस भर्ती तक युवाओं में भारी आक्रोश है और लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। अभी कुछ माह से कुछ पीएचडी कर चुके छात्रों की अगुवाई में राइट टू एंप्लायमेंट कैंपेन में छात्र कह रहे हैं कि, “मै पीएचडी ड्रिग्री धारक बेरोजगार हूॅ मैं शर्म करूॅ कि सरकार शर्म करें।” आप अवगत ही हैं कि सचिवालय की 368 पदों की चपरासी की भर्ती के लिए 23 लाख आवेदकों में सैकड़ों पीएचडी उपाधि प्राप्त भी थे। आप अच्छी तरह जानते हैं कि बेरोज़गारी के विस्फोटक होने की वजह उदारीकरण की नीतियाँ हैं, पर मजबूरन आपकी पार्टी इन गलत नीतियों का अनुसरण कर रही है।

बावजूद इसके, आपने चुनाव के समय दो वायदे किये थे। पहला, सभी युवाओं को रोजगार दिया जायेगा और रोजगार न दे पाने की स्थिति में बेरोज़गारी भत्ता दिया जायेगा। दूसरा, किसानों को उनकी फसल का लागत मूल्य का डेढ़ गुना दिया जायेगा। अभी तक ये दोनों वायदे पूरा करने की दिशा में एक कदम भी सरकार आगे नहीं बढ़ी है। राइट टू एंप्लायमेंट कैंपेन की तरफ से यह मांग की जा रही है कि प्रदेश में खाली 15 लाख पदों को तत्काल भरा जाये और इसके लिए आयोग का गठन किया जाये। यह पूरी तरह से युवाओं की वाजिब मांग है और सरकार को अपने अंतिम साल में इसे ज़रूर पूरा करना चाहिए।

मै यह भी आपके संज्ञान में ला दूँ कि चयन प्रक्रिया के तमाम मामले कोर्ट में लंबित है। ऐसी स्थिति में क्या सरकार माननीय उच्च न्यायालय से यह अनुरोध नहीं कर सकती है कि लाखों युवाओं के भविष्य को देखते हुए इन सभी मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ बनाई जाये और प्रति दिन सुनवाई कर सभी मामलों को एक या दो माह में निस्तारित किया जाये। साथ ही जिन अधिकारियों की घोर लापरवाही के चलते परीक्षाओं में देरी अथवा मामले न्यायालय में चले जाते हैं, उन्हें दंडित किया जाये।

युवाओं की यह भी मांग है कि रोज़गार को मौलिक अधिकार में शामिल किया जाये। फिलहाल यह प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र के बाहर है फिर भी प्रदेश सरकार विधान सभा से प्रस्ताव पास कर संसद को भेज सकती है।

Take campus conversations to the next level. Become a YKA Campus Correspondent today! Sign up here.

You can also subscribe to the Campus Watch Newsletter, here.

Exit mobile version