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बी.एच.यू. में चौबीसों घंटे खुलने वाली लाइब्रेरी रात ११ बजे ही क्यों बंद होने लगी है

अभिलाष आनंद:

Translated from English to Hindi by Sidharth Bhatt.

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति श्री लालजी सिंह ने जब विश्वविद्यालय परिसर में रात को स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बारे में सुना, तो उन्होंने कारणों का पता लगाने का प्रयास किया। उन्हें विद्यार्थियों ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर के बाहर रहने और लगातार बिजली की कटौती की वजह से उन्हें पढाई में काफी दिक्कतें आ रही हैं, जिसके कारण वे स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने को विवश हैं। पूर्व कुलपति के सही कारणों को जानने का यह प्रयास, ३-मार्च २०१३ में विश्वविद्यालय परिसर को २५० कम्प्यूटरों के साथ हफ्ते के सातों दिन और चौबीसों घंटे खुली रहने वाली साइबर लाइब्रेरी पर जाकर रुक गया। ३-जुलाई २०१४ को इस लाइब्रेरी में कम्प्यूटरों की संख्या ४५५ हो चुकी थी जो शायद इस लाइब्रेरी को एशिया की सबसे बड़ी साइबर लाइब्रेरी बनता है।

लाइब्रेरी को बंद किये जाने के कारण:

नवंबर २०१४ को विद्यार्थियों की स्टूडेंट-यूनियन की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद लाइब्रेरी को बंद कर दिया गया। नए कुलपति श्री जी. सी. त्रिपाठी ने कार्यभार सँभालने के बाद लाइब्रेरी को दिन में १२ घंटों के लिए ( प्रातः ८ बजे से रात्रि ८ बजे तक) खोलने का आदेश दिया। कुछ विरोध प्रदर्शनों के बाद लाइब्रेरी के बंद होने का समय रात्रि ११ बजे तक बढ़ा दिया गया और यही समय सीमा अभी तक लागू है।

क्यों विद्यार्थी नयी समय सीमाओं से नाखुश हैं:

लाइब्रेरी की समय सीमाओं के विरोध की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इस सिलसिले में पिछले वर्ष अक्टूबर और नवंबर में विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। अंतर केवल यह है कि इस बार विद्यार्थियों ने विरोध के लिए लाइब्रेरी बंद होने के बाद लाइब्रेरी परिसर के बाहर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने और हस्ताक्षर अभियान जैसे शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाया है। आज इस विरोध प्रदर्शन का सोलहवां दिन है। इस बीच विरोध प्रदर्शन जारी रखने के लिए सुरक्षा अधिकारियों की सहमति बनाए रखना बेहद मुश्किल रहा, और प्रॉक्टर महोदय से तक़रीबन हर दिन बात करनी पड़ी। राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के शोध पर आधारित विषयों के लिए अधिक संसाधन जुटाने को लेकर १२ मई को विश्वविद्यालय की सौंवी वर्षगाँठ पर दिए गए भाषण के बाद, विद्यार्थियों की मांगे और उनके विरोध प्रदर्शन और अधिक प्रासंगिक लगते हैं।

क्या कहना है विश्वविद्यालय प्रशाशन का:

एक तरफ जहाँ प्रशाशन, प्रॉक्टर और अन्य अधिकारियों का समर्थन करते हुए विद्यार्थियों को विरोध प्रदर्शन बंद करने के लिए समझाने के प्रयास कर रहा है। वहीँ प्रदर्शनकारियों के पास वीडियो के रूप में इस तरह के सबूत मौजूद हैं जिनमें विद्यार्थियों पर हुए बल प्रयोग को साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रशाशन नें दो छात्रों को विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। इन दोनों छात्रों पर “स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने और हस्ताक्षर अभियान जैसे कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर” विश्वविद्यालय के वातावरण को खराब करने के आरोप लगाए गए हैं।

एक आर.टी.आई. के द्वारा प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को ७६० करोड़ रूपए का वार्षिक अनुदान मिलता है। एक विद्यार्थी के रूप में मैंने यह सीखा है कि, दिन-रात के अथक परिश्रम के बाद इस विश्वविद्यालय कि स्थापना करने वाले महामना मदन मोहन मालवीय के मूल्यों, जिनमें छात्रों के हितों की रक्षा मुख्य रूप से आती है, से दूर जाना सही नहीं है। (विश्वविद्यालय के अनुदान से सम्बंधित आर.टी.आई. डालने वाला छात्र, उन दो छात्रों में से एक है जिसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है)।

आज विश्वविद्यालय कि स्थापना के १०० वर्ष के बाद छात्र-हितों कि स्थिति ऐसी नहीं है कि उस पर विश्वविद्यालय प्रशाषन गर्व कर सके। ऐसे में छात्रों की लाइब्रेरी को चौबीसों घंटे खुले रखने कि मांग, चाहे वो एक ही छात्र के लिए क्यों ना हो, पूर्णतया सही है।

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