जब चोरों ने दिखाया रास्ता
एक बेहद रोचक किस्से के बारे में बताते हुए विपुल कहते हैं, “एक बार मैं उत्तर प्रदेश के कठेराव गांव में नुक्कड़ के लिए गांव के रास्ते पर मोबाइल की लाइट के सहारे जा रहा था। तभी पांच लोगों ने आकर मुझे घेर लिया। मोबाइल, पर्स, घड़ी सब छीन लिए। जब बैग लेने लगे, तब मैंने कहा कि मेरी डायरी मुझे दे दो या उसमें से नंबर नोट कर लेने दो। तब उन्होंने कहा कि ठीक है, कर लो। उनके मोबाइल की टॉर्च की रौशनी में मैंने ज़रूरी नंबर कागज पर नोट किए। फिर उन्होंने पूछा, क्या करते हो? मैंने बताया कि घूम-घूमकर लोगों की समस्याओं को नुक्कड़ के माध्यम से सामने लाता हूँ। अभी कठेराव जा रहा हूँ। मेरे काले कपड़े और चुन्नी से मैं नुक्कड़ खेलूंगा, बस वो मुझे दे दो। तब वे बोले, वो तो हमारा ही गांव है, वहां पानी की बहुत समस्या है। वहाँ शर्मा जी से मिल लेना वो तुम्हारी मदद करेंगे। उसके बाद उन्होंने मुझे गाड़ी से गांव तक छोड़ा, खाना खिलाया और नुक्कड़ खेलने में सहायता भी की।”
देशभर घूमना चाहता हूँ
पूरा देश घूमने कि अपनी इच्छा कि बात करते हुए विपुल कहते हैं, “अभी तक ट्रक, बैलगाड़ी, रेलगाड़ी और पैदल सफर कर 11 राज्य नाप चुका हूँ। गांव में, स्टेशन पर, मंदिर में, बस स्टैंड पर रात गुजराता हूँ। कन्या भ्रूण हत्या, पर्यावरण, बाल विवाह, पानी, स्वच्छता और कई मुद्दों पर काम करना चाहता हूँ। पिता अध्यापक हैं, माँ लेखक और जुड़वा भाई मर्चेंट नेवी में। पढ़ने लिखने का माहौल घर में मिला, मेरे सफर में किताबें साथ होती हैं। थियेटर में पीयूष मिश्रा मेरे आदर्श हैं। मै रंगमंच के जरिए देश और दुनिया में अपने इस अभियान को जारी रखूँगा।”
घूमने, लिखने और थिएटर में कुछ कर दिखाने की इच्छा से प्रेरित भोपाल के इस युवक के वीडियो को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।