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स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने से अनशन तक पहुंचा बी.एच.यू. में छात्र संघर्ष

अज्ञातकृत:

एक ओर जहाँ हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी डिजिटल इंडिया की बात करते हुए देश के गाँव-गाँव मे वाई-फाई लगाने की बात कर रहे हैं और साथ ही वाराणसी के घाटो का भी वाई-फाई-करण हो रहा है। वहीं उनके संसदीय क्षेत्र के इतने बड़े केंद्रीय विश्विद्यालय, “काशी हिन्दू विश्वविद्यालय” के छात्र इंटरनेट, लाइब्रेरी और अन्य पढ़ाई की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। वर्तमान समय में उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए इंटरनेट की उपलब्धता को नकारा नही जा सकता।

मामला साइबर लाइब्रेरी का है जो पहले २४ घंटे खुलती थी, लेकिन नए कुलपति के आने के बाद, इसे मात्र १५ घंटों के लिए खोला जाने लगा (सुबह ८ से रात्रि ११ बजे तक) । आपको बता दें की बी.एच.यू. के ६० प्रतिशत से अधिक छात्र विश्वविद्यालय के बाहर रहते है जहां बिजली की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। बाहरी छात्रों के इस समस्या के समाधान के लिए साइबर लाइब्रेरी खोली गई थी, जिसमे छात्र वातानुकूलित स्थान पर इंटरनेट व कंप्यूटर की सुविधा के साथ अपना पठन-पाठन का कार्य कर सकें। परीक्षा के दिनो में इसकी जरुरत और बढ़ जाती है।

कुलपति महोदय का सम्बधित मामले में कहना है कि, जब वे पढ़ा करते थे तो यह सब सुविधाएं नहीं थी। उनके क्लासरूम वातानुकूलित नहीं थे ना ही कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध थी, फिर भी वे पढ़े। उन्होंने आगे जोड़ते हुए यह भी कहा कि स्नातक के छात्रों को लाइब्रेरी की क्या जरूरत हैं, और पाठ्यक्रम के अतिरिक्त कुछ और पढ़ने की क्या जरुरत है? उन्होंने आंदोलन करने पर छात्रों को विश्वविद्यालय से बाहर करने की भी चेतावनी दी।

यहाँ तक कि साइबर लाइब्रेरी की उपलब्धता २४ घंटे करवाने के लिए गाँधीवादी तरीके से रात में कैंपस में पढाई कर अपने हक़ की आवाज़ उठा रहे छात्रों में से २ छात्रों, शांतनु सिंह गौर (सोशल साइंस द्वितीय वर्ष) और विकास सिंह (पोलिटिकल साइंस शोध छात्र) को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। विश्वविद्यालय द्वारा लाठी, डंडे के दम पर लाइब्रेरी से जबरदस्ती निकाले जाने के कारण छात्र, स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ अपना विरोध दर्ज़ करा रहे थे।
अनवरत १७ दिनों से स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने को विवश बी.एच.यू. के विद्यार्थी, विश्वविद्यालय प्रशासन के उदासीन तथा तानाशाहीपूर्ण रवैये के कारण निराश और हताश होकर १८-मई से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में बैठने को मज़बूर हुए।

भूख हड़ताल के आठवें दिन से बी.एच.यू. प्रशासन के लोग, आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए अनशनरत विद्यार्थियों के घर पर फ़ोन कर परिवारजनों को डरा धमका रहे हैं। छात्रों को निष्काषित करने, करियर बर्बाद करने, जेल भिजवाने, उठा लेने आदि की धमकियां दी जा रही हैं। एक छात्र अमरदीप सिंह के ऊपर पारिवारिक दबाव बनाने में यह सफल भी रहे हैं। आंदोलन स्थल पर पानी, शौचालय, बिजली आदि की मूलभूत सुविधाएं बंद कर प्रशासन ने मानवीयता की सारी हदों को तोड़ दिया है। इसी क्रम में २३-मई को ९ आंदोलनरत छात्रों को निलंबित भी कर दिया गया।

यहाँ तक कि बी.एच.यू. प्रशासन ने अपने कतिपय चाटुकार छात्रों का इस्तेमाल कर आंदोलन को हिंसक करने की भी नाकाम कोशिशें की। आंदोलनरत छात्रों में से दो छात्र अविनाश ओझा और दीपक सिंह की तबियत ख़राब होने पर इन्हे इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया है ।

बी.एच.यू. प्रशासन नें, अभी तक किसी भी वार्ता के लिए हामी नहीं भरी है।

वर्तमान स्थिति: शिक्षा के मौलिक अधिकार को लेकर जब छात्रों को भूख हड़ताल करनी पड़े तो समझ लीजिए कि उनकी सही भूख जाग उठी है। यह जठराग्नि नही है जो तुरंत ख़तम हो जाए, यह तो दावानल की तरह और भड़केगा और फिर सभी अवांछित तत्वों को जलाकर खाक कर देगा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों का आंदोलन अपने नये आयाम की तलाश में लगातार प्रयासरत है। सभी आठ हड़ताली छात्रों ने अपना अनशन तोड़ दिया है। वजह उनका बिगड़ता हुआ स्वास्थ्य था। अभी वो देशभर के ज्वलंत छात्र नेताओं से संपर्क साध रहे हैं।

यूथ की आवाज़ से बात करते हुए एक अंशनकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पे कहा कि, “हम प्रशासन को तीन दिन की मोहलत दे रहे हैं, ताकी प्रशासन अपना बर्खास्तगी आदेश वापस ले, अन्यथा इसके बाद हम विरोध के और भी जोरदार तरीकों से उनका सामना करेंगे।”

आंदोलनकारी छात्र पूरे देश भर के छात्र नेताओं को सोमवार को बी.एच.यू. आने का आह्वान कर चुके हैं। इस बीच यूनिवर्सिटी प्रशासन की, इस एकता को भंग करने की पूरी कोशिशें जारी हैं। अब प्रश्न यह है कि, छात्रों के इस मौलिक अधिकार के साथ हो रहे खिलवाड़ के लिए कौन जिम्मेदार है।

क्रम अनुसार घटना:

• दिनांक ०२/०५/२०१६ को छात्र प्रतिनिधिमंडल, ५०० से अधिक छात्रों द्वारा हस्ताक्षर किये गए पत्र को लेकर कुलपति महोदय से मिले। कुलपति महोदय ने छात्रों से बिना कोई बातचीत किये विश्वविद्यालय से निकाल बाहर करने की धमकी दी, साथ ही यह भी कहा कि लाइब्रेरी स्नातक के छात्रों के लिए नहीं है।

कुलपति महोदय के बातचीत का लहजा एक गुरु-शिष्य की बातचीत से कोसों दूर था, साथ ही उन्होंने स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने की भी सलाह दी।

• ०२/०५/२०१६ से रात को छात्रों ने स्ट्रीट लाइट के नीचे पढाई करना शुरू किया। छात्रों को सुरक्षाकर्मियों द्वारा मारपीट कर भगाया गया।

• ०६/०५/२०१६ को छात्रों नें डीन ऑफ़ स्टूडेंट्स को लाइब्रेरी खोलने के संबंध में पत्र दिया। छात्र रोज रात को लाइब्रेरी के मैदान में अथवा स्ट्रीट लाइट के नीचे पढाई कर रहे थे, परन्तु रात को प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा छात्रों को बेवजह परेशान किया गया और छात्रों के आईकार्ड छीने गए एवं उनके साथ मार-पीट की गयी।

• ०९/०५/२०१६ को दो छात्रों के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया

• दिनांक १०/०५/२०१६ को प्रधानमंत्री कार्यालय के स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठ कर पढ़ाई की

• दिनांक १६/०५/२०१६ को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, एमएचआरडी, इत्यादि मंत्रालयों को इस सम्बन्ध में सूचना दी गयी।

• अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के सम्बन्ध में मूक प्रशासन को देखकर छात्र १८/०५/२०१६ से भूख हड़ताल पर बैठने को बाध्य हुए।

• दिनांक २३/०५/२०१६ को ९ आंदोलनरत छात्रों को निलंबित कर दिया गया।

छात्रों की माँगे:-

१) – बीएचयू साइबर लाइब्रेरी को पुनः २४ घंटे खोला जाये।

२) – छात्रों से ग्रीष्मावकाश में छात्रावास ना खाली कराया जाये।

३) – परिसर में २४ घंटे एक कैंटीन खुले।

४) – रात में छात्राओं को उनके छात्रावासों से लाइब्रेरी तक ले जाने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतेज़ाम के साथ बसों के संचालन की व्यवस्था कि जाए।

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