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कामाठीपुरा की एक अलग ही तस्वीर दिखाती हैं हेलेन

Dealing with customers. Sumi negotiating a business deal in the classic attitude of sexual soliciting. During business hours there is no room for personal relationships. Sumi becomes a victim of Zakir's tyranny due to the insiduous influence of Fatima's feminine dominance over her in business of sex. Kolkata, India, April 6, 2005. (Photo by: Majority World/UIG via Getty Images)

सिद्धार्थ भट्ट:

मुंबई पुलिस के 2005 के एक आंकड़े के अनुसार  मुंबई के रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट कामाठीपुरा  में करीब एक लाख महिलाऐं अलग-अलग कोठों में सेक्स वर्कर का काम कर रही थी। इनमे से [envoke_twitter_link]अधिकांश को उनके रिश्तेदारों या करीबियों द्वारा यहाँ लाकर बेचा गया है और शेष यहीं पैदा हुई हैं।[/envoke_twitter_link] इस इलाके में ये महिलाएं बेहद खराब स्थिति में रह रहीं हैं, जहाँ स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं या मूल अधिकारों जैसी चीजों का कोई अस्तित्व नहीं है।

हमारे आधुनिक और विकसित समाज की इस सच्चाई के एक अलग रूप को हेलेन रिमेल्ल कि फोटोस्टोरी, सिस्टर्स ऑफ़ कामाठीपुरा में दिखाया गया है। 2013 में प्रकाशित हुई यह फोटोस्टोरी, कामाठीपुरा  और यहाँ की महिलाओं के एक ऐसे पहलु को सामने लेकर आती है, जिसके बारे में ज्यादा चर्चा नहीं की जाती है। हेलेन ने साई (SAI या सोशल एक्टिविटीज इंटीग्रेशन) नाम के एक छोटे से एन.जी.ओ. के “दीदी” नाम के प्रोजेक्ट पर काम कर रही कुछ सेक्स वर्कर्स के साथ यह फोटोशूट किया था।

जिन सेक्स वर्कर्स के साथ हेलेन ने काम किया उनमें से एक हजरा भी है जो एच.आई.वी. पॉजिटिव (एड्स पीड़ित) है, 19 साल की ज्योति जो दक्षिण मुंबई के एक कोठे में अपनी माँ के साथ रहती है, बड़े होकर पुलिस में जाना चाहती है ताकि वो अपनी माँ और अपनी बहिन जैसी महिलाओं की मदद कर सके। सलमा और सोनी दोनों की जवान बेटियां हैं, [envoke_twitter_link]सोनी कि इच्छा फिल्मों में काम करने की है तो सलमा बस अपनी बेटी को सुरक्षित रखना चाहती है।[/envoke_twitter_link] ये सभी महिलाऐं साई (SAI) के साथ अन्य सेक्स वर्कर्स के बीच एच.आइ.वी. की समस्या और सुरक्षित सेक्स को लेकर जागरूकता फ़ैलाने का काम कर रही हैं। इन्ही में से एक मुमताज़ को साई के साथ मिलकर काम करता बहुत पसंद था, लेकिन केरोसीन छिड़क कर जला दिए जाने के कारण उसकी मौत हो गई। आधिकारिक रूप से इसे आत्महत्या बताया गया, लेकिन मुमताज़ के परिवार वालों का मानना है कि उसकी हत्या हुई है।

हाशिए पर डाल दिए गए इस तबके के साथ क्या हो रहा है, लगता है इससे हमारे सभ्य समाज का कोई लेना-देना नहीं है। किसी को जलाकर मार दिया जाता है या कोई आत्महत्या कर लेता है, इस तरह की [envoke_twitter_link]ना जाने कितनी खबरे कामाठीपुरा जैसे इलाकों की तंग गलियों में ही खो जाती हैं।[/envoke_twitter_link] भारत में कम उम्र में ही मौत का शिकार हो जाने वाली सेक्स वर्कर्स की तादात काफी बड़ी है।

हेलेन की खींची हर तस्वीर अपने आप में एक अलग कहानी बयान करती है। कामाठीपुरा  की इन महिलाओं के जीवन के अलग-अलग पहलुओं को दिखाती ये तस्वीरें, किसी रेड लाइट एरिया की पारंपरिक तस्वीरों से काफी अलग हैं। आप इन तस्वीरों में दिखने वाली पथराई आँखों में- तकलीफ, खो चुकी उम्मीदों के अँधेरे के साथ-साथ नन्ही मुस्कुराहटें, निश्छल हंसी और जिंदगी की चमक को भी देख सकते हैं। ये शायद ज़िन्दगी जीने का जस्बा और इच्छा ही है जो इन दिलेर महिलाओं को आगे बढ़ने की ताकत देता है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन इलाकों में रहने वाली ये महिलाएं भी भारत की नागरिक हैं, इनके अधिकार भी उतने ही जरुरी हैं जितने कि आपके या मेरे अधिकार हैं। वैश्यावृति के गर्त में धकेले जाने के बाद यहीं रहना और जीवन के संघर्ष के लिए जो बन सके वो करने के सिवाय इनके पास आखिर विकल्प ही क्या हैं? और अंत में हेलेन के इस प्रयास को एक बार देखिएगा जरुर, संभव है कि आप भी इन तस्वीरों के ज़रिये उन कहानियों को देख सकें, जो उन अंजान कोनों में बनती हैं, पनपती हैं, लेकिन हमारे सामने नहीं आ पाती।

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