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आरोपों से घिरी आम आदमी पार्टी से दिल्ली की जनता मांग रही है जवाब

शाश्वत मिश्रा:

एक के बाद एक होते अहम खुलासों ने दिल्ली मे सत्तारूढ़ ‘आम आदमी पार्टी (आप)’ की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। पंजाब मे होने वाले विधान सभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह के खुलासे पार्टी के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। हालात यह हैं कि ‘आप’ की छवि पर उठते सवालों ने पार्टी मे असमंजस का माहौल पैदा कर दिया है। इन मुसीबतों की संजीदगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खुद के पाँव विवादों के कीचड़ में सने साफ नज़र आ रहे है। साफ शब्दों मे कहें तो अब ‘आम आदमी पार्टी’ आरोपों से चौतरफा घिरी नज़र आ रही है।

सरकार बनने के बाद से अब तक ‘आम आदमी पार्टी’ के 11 विधायक किसी ना किसी मामले मे गिरफ्तार हो चुके हैं। ‘आप’ हमेशा से दिल्ली को अपराध, भ्रष्टाचार, और महिलाओं के खिलाफ होती बदसलूकी से मुक्त कराने की बात कहती रही है। ऐसे मे उनके ही विधायकों पर महिलाओं से बदसलूकी, छेड़छाड़ और फर्जी डिग्री होने जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं। विकासपुरी के विधायक महिंदर यादव को एक प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से दंगा करने और लोक सेवक पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस प्रदर्शन का आयोजन एक कथित यौन हमलावर के खिलाफ कारवाही की मांग करने के लिए किया गया था।

ये सब मसले सोचने के लिए विवश करते है कि क्या ‘आप’ की बातों और हकीकत मे कोई समानता है? इन सब के बीच हास्यास्पद तो यह है कि पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के दामन पर लगे दाग को सफाने के बजाए पीएम मोदी पर निशाना साधने मे मशरूफ हैं। 24 जुलाई, रविवार को विकासपुरी-मीराबाग काॅरिडोर का लोकार्पण करने पहुंचे दिल्ली के सीएम ने बीजेपी और पीएम मोदी पर चढ़ाई करते हुए इतना तक कह डाला, “शर्म की बात है कि वे दिल्ली की हार को पचा नहीं पा रहे हैं। बीजेपी तीन सीटों पर सिमट गई थी, अब वे हार का बदला ले रहे हैं। अगर अपनी हरकत से बाज नहीं आए तो पंजाब मे भी हारेंगे, गोवा भी हमारा होगा और आपके गुजरात में भी हमारी पार्टी आएगी।”

हाल ही में ‘आप’ के दो विधायक अमानतुल्लाह खान और नरेश यादव को गिरफ्तार किया गया है। ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान पर एक महिला से बदसलूकी, छेड़छाड़ और कार से कुचलकर मारने की कोशिश करने का आरोप है। तो वहीं महरौली से विधायक नरेश यादव पर कुरान की बेअदबी का आरोप है। उन पर पंजाब के मालेरकोटला मे हिंसा भड़काने का भी आरोप है। इस पूरे मामले मे जिन तीन लोगो की गिरफ्तारी हुई हैं, उनमे से मुख्य आरोपी द्वारा विधायक नरेश यादव का नाम लिया गया है जो कि ‘आप’ के लिए चिंता का विषय है। पंजाब में स्थित मालेरकोटला जो कि लुधियाना से लगभग 50 किलोमीटर और संगरूर से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पर मुस्लिम जनसंख्या 68.50% है।

कहीं ना कहीं इस पूरे मामले के तार ‘आप’ से होते हुए पंजाब चुनाव से जुड़े नज़र आ रहे हैं। इसके अलावा ‘आप’ के सांसद भगवंत मान पर संसद परिसर मे विडियोग्राफी करने के कारण उन पर संसद की सुरक्षा को दाव पर लगाने का आरोप है। इसके बावज़ूद ‘आप’ के खेमे से होती बयानबाजी थमती नज़र नहीं आ रही है। इन आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ‘आप’ के पार्टी प्रमुख ने मोदी पर दिल्लीवासियों को झूठे मामले के तहत जेल भेजने का भी आरोप लगाया है।

केजरीवाल हाल मे ही ‘आप’ के ‘युवा घोषणा पत्र’ के मुख्य पृष्ठ पर स्वर्ण मंदिर के साथ झाडू की तस्वीर लगाने से उपजे विवादों मे उलझ चुके हैं, जिसके लिए उन्होंने माफी भी मांगी थी। इसके अलावा गुजरात मे दलितों की पिटाई के विरोध मे हो रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिस हेडकांस्टेबल पंकज अमरोलिया की हत्या के कथित आरोपी दलित युवक कांति मुलज़ीवाला से मुलाकात करने पर भी दिल्ली के सीएम विवादों में घिर चुके हैं। गुजरात मे गरमाई सियासत के बीच दलितों के हमदर्द बनकर पहुंचे केजरीवाल को ‘निजी राजनीतिक लाभ उठाने’ जैसी कठोर टिप्पणियों का भी सामना करना पड़ा था।

सीएम अरविंद केजरीवाल की दाद देनी होगी उनकी अटूट हिम्मत के लिए, कि वो ख़ुद आरोपों से अछुते नहीं पर फिर भी उनके अल्फाज़ों मे ज़रा सा भी शिकन नहीं है। सीएम की तारीफ करनी होगी कि वो अपनी जख्मी सेना के साथ भी विपक्ष को ललकारने का कोई मौका छोड़ नहीं रहे हैं। पर कहीं ना कहीं उन्हें भी अंदाजा जरूर होगा कि पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह हालिया घटनाएं ‘आप’ की जीत की राह को बाधित कर सकती हैं। चुनाव की अहमियत को देखते हुए आरोपो की संजीदगी का एहसास उन्हें भी होगा।

पार्टी का वरचस्व साबित करने के लिहाज़ से पंजाब चुनाव एक सुनहरा मौका है। इसमे कोई शक नहीं है कि ‘आप’ के राजनीतिक भविष्य का फैसला पंजाब मे होने वाले चुनावों के नतीजों पर निर्भर है। ऐसे में पार्टी की छवि पर उठती उंगलियां ना केवल पंजाब चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं बल्कि सीएम के गुजरात मे ‘आप’ का परचम लहराने के सपने को भी खाक कर सकती हैं।

दिल्ली के सीएम को अब सपनों की दुनिया से बाहर निकल कर सोचने की जरूरत है कि राजनीति की दुनिया में उन्हें जो कुछ भी हासिल हुआ है, वो सिर्फ़ दिल्ली वालों के सहयोग की बदौलत। मगर दिल्ली के लोग इतने भी भोले नहीं हैं कि वो हर बार लुभावने वादों की धारा मे कागज की नाव की तरह बह जाएंगे। उन्होंने ‘आप’ पर विश्वास किया है कि लम्बी चौड़ी बातों से ज्यादा दिल्ली मे काम दिखेगा। हाल मे हुई पार्टी के विधायको की गिरफ्तारियां, विवादों और भाषणबाजियों ने ‘आप’ की काबिलियत पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है, और यकीन मानिए ये प्रश्न चिन्ह धुंधला ही सही पर अब दिल्ली के लोगों को दिखने जरूर लगा है। ऐसे मे दिल्ली के सीएम को ‘आप’ के दामन पर लगे दाग का हिसाब तो देना ही पड़ेगा।

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