भारत की जनसंख्या का करीब 68% हिस्सा, ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। आज देहाती इलाकों से रोज़गार की कमी के चलते शहरों की ओर बड़ी संख्या में लोगों का पलायन बढ़ा है। भारत में मध्यम और छोटे उद्योगों के लिए सरकार ने योजनाएं तो कई सारी बनाई हैं, लेकिन उनकी पहुंच बेहद सीमित है। इस वजह से लोग अपने परम्परागत व्यवसायों को छोड़ शहरों की तरफ बढ़ रहे हैं। अगर गांव में ही रोज़गार की सुविधाएं उपलब्ध हों तो इसे रोका जा सकता है। हालांकि कुछ ग्रामीण इलाके ऐसे भी हैं, जो रोज़गार के नए मौकों को जन्म देकर कहीं ना कहीं पलायन रोकने की उम्मीद को बनाए रखने का काम कर रहे हैं। खबर लहरिया की इस विडियो रिपोर्ट में इसी तरह के एक जीते जागते उदहारण- ग्राम असोह के बारे में दिखाया गया है, जो उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले में स्थित है। रोज़गार के ख़ास अवसर ना होने के कारण यहाँ के लोग भी शहरों में ही काम कर रहे थे, लेकिन कुछ समय पहले यहाँ के ग्रामीणों ने गलीचे बनाने का नया व्यवसाय शुरू किया है, जिससे उनमें आत्मनिर्भरता तो आई ही है, साथ ही शहरों की तरफ पलायन भी रूका है।