स्वच्छ भारत अभियान में भारत के विभिन्न ग्रामीण और शहरी इलाकों में शौचालयों के निर्माण में जहाँ काफी बड़ी मात्रा में पैसा खर्च किया जा रहा है। वहीं कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे भी हैं जहाँ ग्रामीणों को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं दी जा रही है। इसलिए इन क्षेत्रों में लोगों को अब भी शौच के लिए घरों से काफी दूर जाना होता है। खासकर बच्चों और शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके बूढ़े लोगों को इसके चलते काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एन.एस.एस.ओ.) के एक सर्वे के मुताबिक भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत बनाए गए तक़रीबन 95 लाख शौचालयों में से केवल 46% का प्रयोग किया जा रहा है वहीं शहरी क्षेत्रों में भी यह आंकड़ा केवल 50% का ही है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है कि केवल शौचालयों का निर्माण करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि उनका उपयोग किया जाना तय करने के लिए पानी की भी उचित व्यवस्था जरुरी है नहीं तो इन शौचालयों को बनाने से कुछ हासिल नहीं होगा। खबर लहरिया के इस विडियो में दिखाए गए उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के भटेवरा गाँव जो इसी तरह के सरकारी असहयोग का सामना कर रहा है से यह बात काफी हद तक साफ़ हो जाती है।