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कौन करेगा बांदा की वाल्मीकि बस्ती की सफाई?

सिद्धार्थ भट्ट:

जाति के आधार पर भेदभाव सदियों से चला आ रहा है, और आज के आधुनिक समाज में जाति आधारित भेदभाव के अस्तित्व को नकारने के तमाम प्रयासों के बावजूद, इसे साफ़ तौर पर देखा और महसूस किया जा सकता है। दलितों और निचली जातियों की बस्तियों में जाने पर, सुविधाओं के अभाव और वहां के मुश्किल हालातों को देख कर यह आसानी से समझा जा सकता है। इसी को साबित कर रहा है खबर लहरिया का यह विडियो, जिसमे उत्तर प्रदेश के बांदा शहर की वाल्मीकि बस्ती में सफाई के मुद्दे को उठाया गया है। इस बस्ती में रहने वाले लोग वाल्मीकि, खटिक और मुस्लिम समुदाय के लोग हैं, जो प्रशासन के ढुलमुल रवैये की वजह से गन्दगी के ढेर पर रहने के लिए मजबूर हैं।  यह सोचने वाली बात है कि इसका कारण केवल प्रशासन की लापरवाही है, या कहीं ना कहीं यहाँ के निवासियों की जाति भी इसमें अहम भूमिका निभा रही है। खबर लहरिया के पत्रकारों ने जब बांदा नगर पालिका से इस विषय पर जानकारी की मांग की तो उन्होंने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

Video courtesy: Khabar Lahariya.
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