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दलित पदयात्रा के बाद ऊना में तनाव के चलते पुलिस नें चलाई हवा में गोलियां

सिद्धार्थ भट्ट:

गुजरात के ऊना में सोमवार 15 अगस्त को 10 दिनों के बाद समाप्त हुई दलित अस्मिता यात्रा के कुछ ही घंटों के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ने के चलते पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ी। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, समटेर गाँव में स्थानीय दलित निवासियों के यात्रा में हिस्सा लेने का विरोध कर रही एक भीड़ के पथराव करने के बाद, पुलिस को हवा में 6 राउंड फायर करने पड़े।

पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प की इस घटना में कम से कम 4 पुलिसकर्मी और 4 अन्य लोग घायल हो गए। ऊना पुलिस स्टेशन इंस्पेक्टर एच.सी. वाघेला ने बताया कि, तीन महिला कांस्टेबलों के अलावा वो खुद भी पत्थरबाजी की इस झड़प में घायल हो गए। उन्होंने आगे बताया कि ऊना पुलिस स्टेशन में, रविवार रात से यात्रा में हिस्सा लेने जा रहे दलितों को रोकने और पुलिस को बाधित करने को लेकर 4 एफ.आइ.आर. दर्ज की जा चुकी हैं।

जूनागढ़ रेंज के पुलिस आइ.जी. ब्रजेश झा ने रामेश्वर पटिया गाँव में भी हिंसा की घटनाओं की बात कही, उन्होंने दोनों गाँवों में पुलिस द्वारा 10 से भी ज्यादा आंसू गैस के गोलों का प्रयोग करने के बारे में भी बताया। उन्होंने आगे जानकारी दी कि, अब स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है, और हिंसा की घटनाओं के कारण बंद की गयी सड़कों को अब खोल दिया गया है।

5 अगस्त को शुरू हुई 10 दिनों लम्बी इस दलित यात्रा के अंत में उभरते हुए दलित नेता जिग्नेश मेवानी नें, गुजरात सरकार द्वारा एक महीने के अन्दर, मैला उठाने और दलितों के अन्य पारंपरिक कामों के विकल्प के रूप में, हर दलित को 5 एकड़ जमीन ना दिए जाने पर रेल रोको आन्दोलन की चेतावनी दी।

मेवानी ने साथ ही दलितों से, मृत जानवरों की लाशों का निपटारा ना करने और गटर और गन्दगी साफ़ करने जैसे कामों का बहिष्कार करने का आवाहन किया। मेवनी ने प्रधानमंत्री मोदी के दलितों को लेकर आये हालिया बयान को नाटक करार देकर ख़ारिज करते हुए, उनके मुख्यमंत्री काल में दलितों पर हुई क्रूरताओं की घटनाओं की भी बात कही।

इस दलित यात्रा के अंतिम चरण में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दिवंगत दलित छात्रनेता रोहित वेमुला (जिन्होंने कथित रूप से यूनिवर्सिटी प्रशासन के भेदभावपूर्ण रवैये के चलते आत्महत्या कर ली थी) की माँ और जे.एन.यू. छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी शमिल हुए।

इनके अतिरिक्त पूर्व आइ.पी.एस. राहुल शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीन मिश्रा, निर्झरी सिन्हा, और उत्तर प्रदेश, बिहार तथा तमिलनाडू से अनेक सामाजिक कार्यकर्ता इस दलित पदयात्रा में शामिल हुए।

रोहित वेमुला की माँ राधिका ने कहा कि, वो इस यात्रा में इसलिए शामिल हुई क्यूंकि वो नहीं चाहती कि जो उनके साथ हुआ वह किसी और के साथ हो। उन्होंने कहा कि, “सभी के अधिकार सामान हैं।”

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