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अम्बेडकरनगर की महिलाओं के लिए आजादी के 70 सालों बाद, क्या हैं इसके मायने

सिद्धार्थ भट्ट:

200 सालों के ब्रिटिशराज के बाद हिन्दुस्तान ने एक लम्बी लड़ाई के बाद आज़ादी हासिल की। कल पूरे देश में आजादी का पर्व मनाया जाएगा, लेकिन इस पर्व में समाज के अलग-अलग तबकों की कितनी भागीदारी है? उनके लिए इस शब्द के क्या मायने हैं? एक औरत के लिए आज आजादी का क्या अर्थ है, खासकर जब वो छोटे और मझोले शहरों से आती हो। हमारे संविधान ने तो उसे आज़ाद नागरिक का दर्ज़ा दिया, लेकिन क्या हमारे समाज ने पिछले 60-70 सालों में इस दर्जे का सम्मान किया है? ऐसा लगता तो नहीं है। आज भी अधिकाँश महिलाओं की जगह दोयम दर्जे की ही है, उनके फैसलों पर कभी उनके पिता, कभी उनके पति या कभी उनके भाई का ही हक़ है। अखबारों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की ख़बरें आम हो चली हैं। इसी कड़ी में खबर लहरिया का यह विडियो दिखाता है, कि उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर की महिलाओं का आज आज़ादी के बारे में क्या सोचना है।

Video Courtesy: Khabar Lahariya.
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