भारत में शिक्षा को लेकर काफी समय से आलोचनाओं का दौर जारी है। बच्चों की शिक्षा कैसी होनी चहिये से लेकर, उनको पढाई जाने के तरीकों और पाठ्यक्रम आदि तक सभी पर बातें हो रही हैं। इन सभी के साथ यह भी सोचा जाना और तय किया जाना जरुरी है कि जिस जगह एक बच्चा उसके दिन के करीब 6 से 8 घंटे गुजरता है वहां का प्रबंधन यानि कि मैनेजमेंट बच्चों की जरूरतों के साथ कोई समझौता ना करे। आए दिन स्कूलों में बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आती रहती हैं। सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की घटिया क्वालिटी, अध्यापकों की कमी, और जाती तथा लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव से लेकर मोटी फीस वसूलने वाले प्राइवेट स्कूलों में कभी बच्चों को बेरहमी से मारना, उनके साथ बदसलूकी, और तमाम तरह की लापरवाही तक। इस तरह की घटनाएं हमारी शिक्षा पद्धति पर एक सवालिया निशाँ छोड़ जाती हैं। खबर लहरिया के इस विडियो में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के विद्या धाम स्कूल प्रशासन की इसी तरह की लापरवाही की एक झलक देखने को मिलती है।
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