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बंगाल के 4 गाँवों में टी.वी. टावर हटाने पर ग्रामीणों नें दी सरकार को आन्दोलन की चेतावनी

यूथ की आवाज़: 

दुर्गम और पिछड़े इलाकों की अनेक समस्याओं के अलावा, टेलीविजन प्रसारण भी एक समस्या है, जहाँ ट्रांसमिशन की सही सुविधा ना होना काफी आम है। ऐसे में यदि सरकारी विभाग ऐसे किसी इलाके में ट्रांसमिशन टावर ही हटाने का फैसला कर ले तो फिर क्या कहा जा सकता है। ऐसे ही एक मामले में भाजपा नेता सूरज यादव के नेतृत्व में मधेपुरा, सिमरी बख्तियारपुर, खगरिया और कलना (प. बंगाल) से दूरदर्शन के लो पॉवर ट्रांसमिशन टॉवर (एल.पी.टी.) को हटा लिए जाने के दूरदर्शन और प्रसार भारती के फैसले का विरोध करते हुए, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री को ज्ञापन सौंपा गया।

दूरदर्शन भारत का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला टी.वी. चैनल है, एक रिपोर्ट के अनुसार 2015 के इकतालीसवें हफ्ते में जी.एस.एल. (ग्रॉस व्यूवरशिप इन लाख या कुल दर्शकों की संख्या) 4000 लाख से भी अधिक थी। आज केबल टी.वी. और डायरेक्ट टू होम टेलीविजन सेवाओं के दौर में भी दूरदर्शन देश में मनोरंजन और जानकारी का सबसे बड़ा साधन है। खासकर कि ग्रामीण और आंचलिक इलाकों में दूरदर्शन की पकड़ काफी अच्छी है, जहाँ यह सरकारी टेलीविजन चैनल लोगों को मुफ्त में टी.वी. प्रसारण की सुविधा उपलब्ध करता है।

इस सिलसिले में जारी की गयी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मधेपुर के लोगों की ओर से, सरकार को यह फैसला वापस ना लेने की स्थिति में 8 सितम्बर को विशाल आन्दोलन किए जाने की चेतावनी दी गयी है। साथ ही कहा गया है कि दूरदर्शन टॉवर की घेरा बंदी और ताला बंदी की जाएगी जिससे टॉवर को बाहर नहीं ले जाया जा सकेगा।

प्रो. सूरज यादव ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि, पहले कहा गया कि मधेपुरा के लोगों को सरकारी एफएम (हमारी लंबे अरसे से की जा रही माँग) सुनने का सुकून मिलेगा। लेकिन केंद्र सरकार के अन्तर्गत प्रसार भारती के एक आदेश में मधेपुरा सहित सिमरी बख्तियारपुर, खगरिया और कलना (प. बंगाल) के दूरदर्शन लो पावर ट्रांसमिशन (एल.पी.टी.) को बंद कर दिए जाने की बात कही गयी। यहाँ दो चीजें ध्यान में रखना जरुरी है कि एक तो एफएम रेडियो का ट्रांसमिशन भी दूरदर्शन टावर से ही होता है, और दूसरा यह कि बंद करने के आदेश से प्रभावित ये सभी जगह पिछड़े, अविकसित, सीमांचल के क्षेत्र हैं।

इससे पूर्व 2012 में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था लेकिन, स्थानीय लोगों के विरोध और दूरदर्शन टावर की तालाबंदी किए जाने के बाद यह फैसला वापस ले लिया गया था। पूर्व में इस फैसले के पीछे उस समय दूरदर्शन अधिकारियों की दलील यह थी कि, हमने सहरसा ज़िला स्थित सोनबर्षा में हाई पावर ट्रांसमिशन टॉवर लगा दिया है और इन लो पॉवर ट्रांसमिशन टॉवरों की ज़रुरत नहीं है। पर सच्चाई यह थी कि सोनबर्षा स्थित टॉवर ठीक से काम ही नहीं कर रहा था और यहाँ तक की पावर फेल होने पर जेनेरेटर भी नहीं चलता था।

 

 

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