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शहाबुद्दीन को एक आम नॉन रेज़िडेंट बिहारी का खुला खत

सौरभ राज:

मोहम्मद शहाबुद्दीन साहेब
नमस्कार,
आज आपको एक आम बिहारी तमाम नॉन रेजिडेंट बिहारियों की ओर से खुली चिट्ठी लिख रहा है। सबसे पहले न्यायालय द्वारा आपको जमानत मिलने की बधाई.
आप और आपके सारे समर्थक फ़िलहाल जश्न में डूबे हैं। अखबारों, न्यूज़ चैनलों, सोशल मीडिया हर जगह बस आप ही आप छाये हुए हैं। इससे बेहतर वापसी, किसी भी राजनेता और बाहुबली की क्या हो सकती है? बधाई हो।

आपको बता दूँ कि मेरा बचपन भी बिहार में ही गुज़रा है। आप जैसे तमाम बाहुबलियों के किस्से सुन सुनकर बड़ा हुआ हूँ।  कॉमरेड चंद्रशेखर की नृशंस हत्या से लेकर तेज़ाब कांड तक की कहानी और दहशत आज भी हर आम बिहारी के दिलो-दिमाग में छायी हुयी है।

मुझे नहीं पता कि आप दोषी हैं या निर्दोष? आपको फंसाया गया था या आप सचमुच ही एक दैत्य हैं? लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से आपको देख-सुनकर दिल बड़ा ही आहत है और मन शर्मिंदगी से भरा हुआ। आप और आपके समर्थकों द्वारा किया जा रहा हर हरकत बिहार और देश को पीछे लेकर जा रहा है। हिन्दू बनाम मुस्लिम, अगड़ा बनाम पिछड़ा, बाहुबली बनाम बाहुबली का ये लड़ाई होता जा रहा है। आपकी रिहाई के बाद बिहार में जाति, धर्म विशेष की गोलबंदी स्पष्ट देखी जा सकती है।

साहेब, आप इतने वर्षों से राजनीति में सक्रीय रहे हैं, आपको तो पता होगा कि लोकतंत्र में जनादेश जनता देती है और जनता ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपना नेता भी चुनती है। लेकिन आपके बयान ने सिर्फ मुख्यमंत्री का ही नहीं अपितु जनादेश और सूबे के समस्त जनता का अपमान किया है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा निर्वाचित व्यक्ति को नेता न मानना आपके अलोकतांत्रिक रवैये को एक बार फिर से साबित करती है। बिहार की जनता ने महागठबंधन को विकास और सुशासन के नाम पर जनादेश दिया था जिसके कि नेता बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। तो आपके बयान का विश्लेषण करे तो दो ही बात सामने आती है कि या तो आप इस महागठबंधन को नहीं मानते या फिर आप जनादेश और लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं। जनता को ललकार रहे हैं, लोकतंत्र को अलोकतांत्रिक चुनौती दे रहे हैं।

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           शहाबुद्दीन का बयान

     नीतीश कुमार परिस्थितवश मुख्यमंत्री बन गए हैं।

             हमारे नितीश कुमार से व्यक्तिगत सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे हैं कभी और ना भविष्य में होंगे।

मेरे समर्थक मुझे इसी छवि में देखना पसंद करते हैं

और मैं इसे बदलना भी पसंद नहीं करूँगा।

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खैर ऐसे बयानों का सिर्फ राजनीति भर से वास्ता नहीं है। आपके ऐसे बयान बिहार के सिस्टम को तो गलत सन्देश दे ही रहा है, साथ ही साथ आपका लोग उदाहरण देकर राजस्थान के अपराधी शेर सिंह राणा को छुड़वाने का सोशल मीडिया पर कैंपेन भी चल चुके हैं। अब सोचिए अगर इस देश के सभी अपराधियों के समर्थक ऐसा ही कैंपेन चलाने लगे तो क्या होगा? लोगों के संविधान और न्यायपालिका पर जो  विश्वास है उसका क्या होगा? सूबे के कानून व्यवस्था में दरार पैदा हो रहा है, उसका क्या होगा?
खैर आप अपना जलसा भी निपटा ही चुके हैं, बिहार को नब्बे के दशक में एक बार फिर से धकेलने को बेताब भी दिख ही रहे हैं, चंदा बाबू को पहचानने से इनकार कर ही चुके हैं, अपनी छवि ना बदलने की मीडिया को साक्षी मानते हुए भीष्म प्रतिज्ञा कर ही चुके हैं तो हम आम लोगों की क्या औकात की आपको कोई नसीहत दे। बस अगली बार जब अपने पीछे 500 गाड़ियों का काफिला लेकर निकलें तो टोल नाके पर टैक्स जरूर दे दीजिएगा। बिहार के राजस्व को फायदा होवेगा।

 

निवेदक
एक आम बिहारी

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