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दिल्ली में ऑटो वालों के 6 क्यूट बहाने जो आपने भी सुने होंगे

अरे दिल्ली जा रहे हो ना, देखना एकदम गज़ब शहर है यार, एकदम दौड़ता रहता है सब वहां, माने मर्सडीज़ तो ऐसे ही देख लेगा तुम सड़क पर चलते-चलते, आउर वहां का ऑटो भी एकदम लो फ्लोर है, और हरा रंग का, धुंआ भी कम छोड़ता है, रिज़र्व करोगे तो मोलभाव का ज़रूरत नहीं है सीधा बैठो आउर मीटर चालू।

मर्सडीज़, गज़ब शहर और ऑटो वाली बात जो पटना से पहली बार आने के पूर्वसंध्या पर दोस्तों ने सेंटी मंडली में बताई थी उसमें अपने सबसे ज़्यादा काम की बात ऑटो वाली ही थी और बदनसीबी की गलत भी वही निकली। मतलब लो फ्लोर सही, हरे रंग का भी सही, कम पॉल्यूशन सही, लेकिन मीटर? आर यू जोकिंग?

अब देखिए कुछ कुछ कॉमन लाईन्स से तो हमसब उब चुके हैं मसलन:-

  1. उधर से सवारी नहीं मिलती– तो ध्यान रहे, अगर दिल्ली में ऑटो से मीटर से जाना चाह रहे हैं तो ये कॉर्डिनेट कर के जाइये कि आप जैसे ही उतरें लपक के कोई सवारी उस ऑटो पर बैठ जाए, और अगर वो भी मीटर से जा रहा है, तो उसके उतरते ही अगली सवारी गैरेंटी करना उसकी ज़िम्मेदारी। क्योंकि आपका डेस्टिनेशन दिल्ली के जिस भी पार्ट में होगा, उधर से इन्हें खाली आना पड़ता है, कोई सवारी नहीं मिलती।
  2. कितनी सवारी? – मतलब वजन के और हेड काउंट के हिसाब से भी पैसे बढ़ जाते हैं। ऐसा लगता है तब तो मानो की सवारी ना हुए पार्सल हो गएं और पहिये नहीं वेइंग मशीन हो गई की हर सवारी के हिसाब से पैसे लगेंगे।
  3. उस साइड नहीं जाउंगा – अब देखिए अगर आप सोच रहे हैं कि ये पूछने पर कि किधर को जाओगे आप अगर टंग रोलिंग लहज़े में साउथ एक्स बोल दें तो ऑटो ड्राईवर चल ही ले। ये बिलकुल मूडानुसार है मतलब स्वादानुसार जितना नमक डालते हैं ना वैसे ही ये मूडानुसार तय करते हैं कि किधर जाना है। और तभी तो जन्म हुआ इस लाईन का किधर को जाओगे?
  4. रात का टाइम है भाईसाहब,गलत नहीं मांग रहा- एक तो रात की मार्केटिंग जो खौफनाक कॉंसेप्ट की तरह की गई है अपने यहां उसका भरपूर फायदा ऑटो वाले भी उठाते हैं, जब मीटर ही नहीं चलता तो नाईट चार्ज भी तो मुहमांगा ही होगा ना इसलिए रात का टाइम है गलत नहीं मांग रहे हैं।
  5. मीटर खराब है –  ये एक्सक्यूज़ सुन के तो सच में लगता है कि रॉबर्ट वाड्रा का अवतार धारण कर उससे पूछूं आर यू सीरियस? मतलब यार या तो ठीक करवा लो वरना हम तो समझ ही चुके हैं कि मीटर से नहीं जाओगे। तो ये सत्य तो घर से मान के ही चलें की मीटर खराब है।
  6. नौएडा में मीटर से कहां, दिल्ली में चलता है मीटर – मतलब NCR में आपने दिल्ली आने के लिए मीटर की बात भी कर दी तो घेटो में बैठे सारे ऑटो चालक ऐसी शक्ल बनाएंगे जैसे सन्नी देओल ने क्रिमीनल को स्पॉट कर लिया हो, तो अब बचा लो अपनी ज़िंदगी। इसीलिए नौएडा में मीटर नहीं, दिल्ली में चलता है। वन्स अगेन आर यू सीरियस?

लेकिन इन सबसे ज़्यादा आपके इगो पर वो ऑटो चोट करता है जो तेज़ी से आते हुए स्लो होता है, आपकी डेस्टीनेशन सुनता है और वापस उतनी ही गती से आगे चला जाता है, एकदम प्लेन फेस के साथ। इस एहसास से तो तब आप भी दो-चार हुए होंगे कि किस इलाके में रहता हूं मैं।

आप थके हैं, धूप में खड़े हैं, दिल्ली की गर्मी वाली धूप में, ठंड में बहुत मुश्किल से सामने से गुज़रने से पहले ऑटो स्पॉट कर पाए हैं, ऑफिस के लिए घर से ही लेट निकले हैं, आपकी मां पहली बार दिल्ली आई हैं और आप बोरा बक्सा लेकर बारगेन करने में लगे हुए हैं, और तो और दोस्त बीमार है हॉस्पीटल लेकर जा रहे हैं और उस वक्त भी उपर गिनाए नुस्खों में से एक नुस्खा आपपे आजमा लिया जाता है तब जो चेहरे पर एक्सप्रेशन आता है वही वजह है कि क्यों सूरत बदलनी चाहिए।

कोई ऐसी घटना होती है जो पूरे देश को विचलित कर देती है और हम हर बार इस तस्वीर को बदलने की बात करते हैं, नियम बताए जाते हैं तब कि कोई ऑटो वाला आपको मना नहीं कर सकता, सिर्फ मीटर से चलेंगे ऑटो, अब NCR के लिए भी आसानी से ऑटो मिल जाएंगे लेकिन सड़क पर आकर बस यही पता चलता है कि आर यू सीरियस?

तो हे ऑटो चालकों, बहुत ही मानवीय संवेदनाओं को मिलाते हुए कह रहा हूं – ऑटो वाले बाबू ज़रा ऑटो चला लो, ऑटो वाले बाबू ज़रा मीटर चला लो।

काश इस पर कन्सर्नड विभाग का जवाबी गाना आता कि- ऑटो वाले ऑटो चला ले जहां को पब्लिक कह रही है, बाकी पूरी कर दूंगा मैं कोई कसर जो रह रही है।

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