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“कई ऑंखों को ‘थोड़ा अधिक वज़न’ इतना दिखता है कि और कुछ नहीं दिखता”

कोई चिंटू होता है कोई पिंटू. कोई पप्पू, कोई सोनू, मोनू , तो कोई पिंकी। मगर मोटे लोग केवल, मोटा/मोटी ही होते हैं। कई आँखों को ये ‘फ्यू केजी. एक्स्ट्रा’ (few kg extra) इतना अधिक दिखता है कि फिर और कुछ नहीं दिखता टार्गेटेड मोटा/मोटी में, ना उनका डिसकम्फर्ट ना खुद से नाराज़गी।

मैं भी मोटी ही रही पूरा बचपन और अब तक की जवानी, आगे का मुझे पता नहीं। हर मोटा/मोटी की भांती मैं हर पल पतले होने की असफल साज़िश रचती हूँ अपने खिलाफ। यूँ तो मैं उनमें हरगिज़ नहीं जो दूसरों के कमेंट्स और कॉम्प्लीमेंट से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि मैं अक्सर अपनी ही दुनिया में रहती हूँ मगर मुझे भी परेशानी तब हो जाती है जब सामाजिक बनने की दुहाई पर ज़बरदस्ती समाज खुद में खींचता है फिर टॉन्ट कसता है।

“क्या बात फैलते ही जा रही हो? सबके हिस्से का खा जाती हो क्या?” और तो और आंटियां घरवालों को भी भड़का देती हैं कि संभालो वरना शादी के वक़्त परेशानी होगी, आजकल लड़के फिगर देखते हैं।अरे तो देखने दो, ऐसा तो है नहीं कि मोटे लोगों का कोई फिगर नहीं होता, हाँ मेजॉरिटी से अलग होता है उनका फिगर, किसी को पसंद आये तो ठीक ना आये तो भी ठीक। आखिर हम इस दुनिया में पसंदीदा ऑब्जेक्ट बनने के लिए तो नहीं हैं ना।

वो अगर खूबसूरत थीं या हैं भी, तो क्या मुझे भी होना ही पड़ेगा? मैं बौड़म रहते हुए खुश नहीं रह सकती? शायद नहीं। मेरे साइज़ की ड्रेस नहीं मिलती, मुझे बाकी लड़कियों की तरह शॉपिंग से प्रेम नहीं है उल्टा डर लगता है| खूब डांट पड़ती है उस दिन मुझे।

स्कूल- कॉलेज से ही लड़के मुझे बहन बनाना पसंद करते हैं, गर्लफ्रेंड सबको हॉट चाहिए और हॉटनेस मतलब तो पतली दुबली। क्लास की मोटी लड़की के कई क्रश हो सकते हैं परन्तु वो कहीं न कहीं सभी बुल्लिंग सहते-सहते यह मान बैठी होती है कि वो कभी किसी का क्रश नहीं हो सकती। यही कारण है कि इंटरवल में भले ही अपने खाने के शौक से मजबूर हो, वो कैंटीन में पैटीज़ लेने के लिए खड़ी तो होगी मगर अन्दर ही अन्दर एक जंग लड़ रही होगी। उसमें कभी कॉन्फिडेंस नहीं दिखेगा वो हमेशा बोगस रहेगी। जबकि वहां और भी बच्चे होंगे, जो पतले होंगे। किसने कहा जो पतले होते हैं वो कम खाते हैं? वो जानती है कि ये सब मेटाबोलिज़्म का खेल है मगर कहाँ कोई समझेगा? वो उस पैटीज़ के आखिरी ग्रास तक उसे छोड़ देने का सोचेगी और पूरा खा कर खुद से वादा करेगी की पतला हो जाने तक यह आखिरी थी|

ये ज़्यादती है और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से घातक भी। मैं देखती हूँ लड़कियों को वो अपनी चाल तक को लेकर कॉन्शियस होती हैं, ये संस्कार नहीं शोषण है। जिन्हें ज़माना चढ़ा रहा है वो अंहकार में हैं, जो इग्नोर्ड हैं वो खुल के हंसते तक नहीं। वो भी उस समय में जब हम कह रहे हैं कि किसी को किसी की फ़िक्र नहीं, हर कोई किसी और के अनुसार जी रहा है| सेल्फ मोटिवेशन ख़त्म हो गया है जैसे।

यह फैक्टर मोटे लोगों में और अधिक तीव्र है वो सेल्फी तक नही लेते। ले भी लें तो हज़ारों ऐप्स यूज़ कर के वो बनना चाहते हैं जो नहीं हैं। मैं खुद अपनी तस्वीरों से कम्फ़र्टेबल नहीं हो पाती कई बार और फेसबुक पर इतने घनिष्ट मित्र होते हुए भी मुझे किसी से भी ऑफलाइन मिलने में डर लगता है! डर मज़ाक का, जजमेंट का, रिजेक्शन का। इंटरेस्ट ख़त्म हो जाने का|

कहा जा सकता है कि यह हर इंसान के अपने मन का विकार है, परन्तु कोई भी चीज़ बिना बीज के जन्म नहीं ले सकता। मैं हर बार की तरह इस बार मार्केट को दोष नहीं देना चाहती, क्योंकि मार्केट तो मोटे लोगों का भी इस्तेमाल बखूबी कर रहा है। यह द्वेष हम लोगों की उपज है।

हमें ही अपने विवेक को पोषित करना होगा और देखना होगा कि एक इंसान सिर्फ एक जिस्म ना और भी बहुत कुछ है। मोटापा घृणा का कारण नहीं होना चाहिए और मोटे लोगों के प्रति भी समाज में गर्मजोशी बनी रहनी चाहिए।

यह महज़ एक स्थिति ही तो है जिससे पार पाना असंभव नहीं। अधिक मोटापे को बीमारी कहा जा सकता है, जिसकी लड़ाई आत्मीयता से लड़ी जाएगी, अवसाद से नहीं। और मेरा मानना है कि इग्नोरेंस और अस्वीकृति किसी भी इंसान में केवल अवसाद को ही जन्म दे सकती है। हाँ कोई कह सकता है कि आक्रोश को भी दे सकती है जो विकार से लड़ने में मदद करेगा। यह सही है, ऐसा हो सकता है मगर ज़िल्लत महसूस कर गर कोई आपके काबिल बन भी जाये फिर भी क्या वो आपको कभी प्रेम कर पायेगा?

यदि आप आधुनिक तौर पर खुबसूरत हैं तो खूबसूरती को खूबसूरती से बढ़ावा दीजिये। मोटे लोगों में भी आम भावनाएं होती हैं, इच्छाएं होती हैं, वो भी प्रेम कर सकते हैं, उन्हें भी प्रेम चाहिए। उनको भी यह समझना होगा कि गर आइने से ही यदि उनको सम्मान नहीं मिल रहा तो बाहर से क्या ही मिलेगा।

Life is not about impressing, you need to express first! अगर खुद में कुछ नापसंद है तो उसपर एफर्ट्स करने होंगे यहाँ कोई भी जन्मजात परफेक्ट नहीं है।

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