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मॉडर्न कम्यूनिकेशन को हर पल आसान बनाता: इमोजी

भावना पाठक:

कहते हैं जज़्बात किसी भाषा के मोहताज़ नहीं होते। ख़ुशी, ग़म, उत्साह, प्रेम , क्रोध, घृणा जैसी भावनाओं को आप अपनी भाव-भंगिमाओं से भी ज़ाहिर कर सकते हैं। इन जज़्बातों को समझने के लिए आपको किसी भाषा की ज़रुरत नहीं है। संचार की भाषा में इसे भाषेतर या अनकहा संचार कहते हैं, जहाँ हम लिखित या मौखिक भाषा की जगह बॉडी लैंग्वेज, पहनावे, इशारे, चित्रों और विभिन्न भाव-भंगिमाओं के ज़रिये भी संचार कर सकते हैं। संचार के ये माध्यम बड़े ही सशक्त होते हैं। हम सब संवाद के लिए मौखिक से ज़्यादा अमौखिक संचार का इस्तेमाल करते हैं।

संचार के इन सशक्त माध्यमों को बड़े ही शानदार ढंग से  इंटरनेट हमारे सामने लेकर आया है इमोजी के रूप में। इमोजी को हम आधुनिक संचार की नयी भाषा मान सकते हैं।  हँसता हुआ इमोजी, रोता हुआ इमोजी, गुस्से से लाल पीला होता इमोजी, मसखरी करता इमोजी, लाड-दुलार और दांत दिखाता इमोजी, गम में डूबा इमोजी, त्योरियां चढ़ाता इमोजी आदि।  शायद ही कोई ऐसी भाव-भंगिमा हो जिसे इन्टरनेट ने इमोजी के रूप में कैद ना किया हो। आखिर ये इमोजी है क्या जो हर एक सांचे में खुद को ढाल लेता है ?

इमोजी वह ग्राफ़िक सिंबल है जो किसी विचार या जज़्बात को वेब पेज पर हमारे सामने एक तस्वीर के रूप में पेश करता है। हालाँकि इमोजी की शुरुआत 1990 में जापानी मोबाइलों में सबसे पहले हुई लेकिन इमोजी को दुनिया में प्रसिद्धि दिलाई एप्पल आई फ़ोन ने, जिसे फिर एंड्रॉयड फ़ोन ने भी अपनाया। जब भाषा का विकास नहीं हुआ था और संचार के आधुनिक तौर-तरीके नहीं थे तब लोग भीति चित्र ( दीवारों पर चित्र ) बनाकर या फिर इशारों के ज़रिये ही एक दूसरे से संवाद किया करते थे। इमोजी भी हमसे इशारों में संवाद करता है। अगर आपको किसी पर प्यार आ रहा हो और अपने जज़्बातों को बयान करने के लिए शब्द न मिल रहे हों तो आप इस इमोजी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

एक इमोजी ऐसा होता है जिसकी आँखें तो होती है पर मुह नहीं जिसे साइलेंट इमोजी भी कहते हैं। इस इमोजी का इस्तेमाल चुप्पी साधने के लिए किया जाता है। कई बार कुछ मुद्दे इतने विवादास्पद होते हैं की हम उन पर चुप्पी साध लेते हैं इस तरह  । अगर किसी ने फरिश्तों की तरह आपकी मदद की हो तो आप इस इमोजी के ज़रिये उसका आभार व्यक्त कर सकते हैं  | सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किये जाने वाले इमोजी हैं – हँसता हुआ इमोजी, रोता हुआ इमोजी, चुंबन देता इमोजी आदि।
आज जब लोगों के पास समय की कमी है ऐसे में आप इन इमोजी के सहारे लोगों के लिए अपनी भावनाएं पल में व्यक्त कर सकते हैं। किसी का जन्मदिन हो तो उसको वर्चुअल केक और गुलदस्ता भेज सकते हैं। इमोजी संवाद का नया ज़रिया बन गया है। पर सवाल ये उठता है कि क्या इमोजी के ज़रिये हर जज़्बात को बेहतर ढंग से बयान किया जा सकता है? आप जो कहना चाहते हैं क्या सामने वाला उसको उसी ढंग से समझने में सक्षम है।

हर इमोजी का अपना एक अर्थ है जैसे चुम्बन देते हुए इमोजी का इस्तेमाल फ़्लर्ट करने के लिए होता है पर लोग बिना सोचे समझे आपस में इसका इस्तेमाल खूब करते हैं। कई बार पति-पत्नी और बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के बीच तनाव का मुख्य कारण फेसबुक, व्हाट्सएप्प और चुम्बन देते, दिल वाली डिजिटल इमेज होती हैं, जिनका इस्तेमाल कई बार हम बिना सोचे समझे यूँ ही करते हैं या फिर हम कुछ और कहना चाहते हैं पर सामने वाला समझता कुछ और है।  मजबूरी ये है की आपने जो सोच कर  सामने वाले को वो इमेज भेजी वो इमेज सामने वाले को आपके वही जज़्बात उसी रूप में नहीं बता सकती और वो अर्थ का अनर्थ निकाल सकता है। इसलिए अब आप जब भी संवाद के लिए इमोजी का इस्तेमाल करें तो सोच समझ कर करें।

संवाद की इस नयी भाषा से एक नुकसान लिखित भाषा को भी हुआ है, वो ये कि इससे लोगों की लेखन क्षमता पर असर पड़ा है। आज की पीढ़ी को अपने विचारों को शब्दों में सही ढंग से पिरोने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आज की पीढ़ी से यही अनुरोध है कि तीन क यानी किताब , कलम और कॉपी से नाता न तोड़े। इस डिजिटल भाषा के साथ साथ परंपरागत भाषा से भी नाता जोड़े रखें क्योंकि इस डिजिटल भाषा की अपनी सीमाएं हैं।

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