रविवार का दिन बच्चे खेल में व्यस्त और सामने से किताबें उनके पास आती हैं। यह कहानी रान्देर सूरत की है, खेल का नाम ही लेना था की सभी बच्चे इकठ्ठा हो गये और हर तरफ से यह गूंज आ रही थी सर आज आपने खेल लगाने को बोला था सर चित्र करवाएंगे न। बस हां ही कहना था कि बच्चे झाड़ू लेकर मैदान साफ़ करने में लग जाते हैं। इनके उत्साह को देखकर और भी अच्छा करने का मन करने लगता है। अक्सर बच्चे शाम के समय स्कूल से आने के बाद बस्तियों में कुछ अन्य तरह की गतिविधियों में लग जाते हैं, जैसे ताश के पत्ते आदि जो बच्चों के लिए हानिकारक होती है।
समुदाय में ‘रीडिंग मेला’ का आयोजन कर रीडिंग स्ट्रीट मॉडल के तहत बच्चों को उनके समुदाय के बीच किताबों की अलग-अलग तरीके की गतिविधयों के माध्यम से जोड़ने का प्रयास किया गया। इस रीडिंग मेला में समुदाय के बच्चों ने हिस्सा लिया। रीडिंग मेला में कुछ गतिविधियां शामिल थी जैसे बच्चों को कुछ समूहों में बाटा गया था और उन्हें उनकी मर्ज़ी से किताबों को चुनने का अवसर भी प्रदान किया गया। हर समूह ने अपने मर्ज़ी से किताबों को चुना फिर हर एक समूह ने अपनी-अपनी किताब की कहानी को समझा और बाई के समूहों के साथ कहानियों का आदान-प्रदान किया। बच्चों की रूचि को देखते हुए चित्र प्रदर्शन की भी एक गतिविधी शामिल थी।