ज्योतिबा फुले ने भारतीय महिलाओं को शुद्रातिशूद्र (शुद्र से भी नीचे) की श्रेणी में गिना था। न केवल शूद्रों की तरह उनका शोषण होता है बल्कि सवर्णों और शूद्रों दोनों श्रेणियों के मर्दों द्वारा भी उनका एक ही जैसा शोषण होता है।
भारतीय समाज व्यवस्था में बंगाल सहित पूरे देश में सवर्ण जातियों में एक पुरुष बहुत कम उम्र की बच्ची से शादी कर सकता था। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के गुरु ने सत्तर पार की उम्र में पांच साल की लड़की से शादी की थी। ऐसे ही ज्योतिबा फुले के एक ब्राह्मण मित्र ने भी एक बच्ची से शादी की थी। उम्र में इस अमानवीय अंतर के साथ अवसरों मे भी अंतर था। एक विधुर, अलग हो चुका या पहले से ही विवाहित पुरुष कई बार विवाह कर सकता था।
ऐसे में बूढ़े पति की मृत्यु से या चार पांच पत्नियों के एक पति की मृत्यु से समाज में विधवाओं की संख्या बढ़ जाती थी। इस बड़ी समस्या का इलाज भारतीय समाज ने अपने ही निराले अंदाज़ में निकाला। दुनिया का कोई सभ्य समाज ऐसे उपायों की कल्पना नहीं कर सकता।
ये इलाज पूरे भारत में प्रचलित और स्वीकृत थे। पहला इलाज था सती प्रथा जिसके हिसाब से हर स्त्री को अपने मृत पति के साथ जल मरना चाहिए। दूसरा इलाज था कि विधवा घर के एक कोने में गाय बकरी की तरह आजन्म बंधी रहे या आत्महत्या कर ले या कुपोषित रहकर खुद ही मर जाए।
सबसे पहले ज्योतिबा फुले ने इन स्त्रियों की बेहतरी के लिए आवाज़ उठाई, उन्होंने विधवा गर्भवतियों के लिए एक आश्रम खोला और “अवैध” बच्चों की ज़िम्मेदारी खुद उठाई। ऐसे ही एक विधवा के बेटे को उन्होंने अपना बेटा बनाकर पाला। इसी क्रम में उन्होंने स्त्रियों के लिए स्कूल भी खोले और बेहद गरीबी की हालत में इन स्कूलों को चलाया। इस बात की चर्चा नहीं होती, क्योंकि फुले एक शूद्र थे।
अंग्रेज़ों के साथ उठने-बैठने के दौरान बंगाली भद्रलोक के कुछ लोगों को इस पर बड़ी शर्म महसूस हुई और उन्होंने कम से कम सती प्रथा पर विराम लगाने का प्रयास किया।
राजा राम मोहन रॉय ने बड़े संघर्ष के बाद अंग्रेज़ी सरकार की मदद और प्रेरणा से इस कुप्रथा को बन्द करवाया। इस बात की खूब चर्चा होती है, क्योंकि रॉय एक ब्राह्मण थे।
सोचिये अगर यूरोपीय सभ्य समाज का सम्पर्क भारत से न हुआ होता तो क्या-क्या नहीं चल रहा होता इस देश में?
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pranot zode
It’s just because of casteism
That happens from when humans made laws of society and worshipping false Gods
This is like an incurable disease.
We still worshipping imaginary false gods which doesn’t have an Existing and thus ignoring the ones who taught lessons of Life .
It feels proud that India is having a rich culture but ups and downs untouchability exists.
Sadly lower caste people face such horrible things in every aspect although reservations are made for them.