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पाकिस्तान का मेहमान, भारत के लिए ज़हर-मसूद अज़हर

शाश्वत मिश्रा

भारत की आंखें को अब अज़हर नामक तिनका ज़्यादा चुभने लगा है। कश्मीर मे आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा अज़हर अब भारत के लिए नासूर बन चुका है। भारत की धरती पर बीते कुछ महिनों मे हुए आतंकी हमलों पर गौर करें तो यह बात साफ ज़ाहिर होती है कि अज़हर देश की शांति मे आतंक का विष घोलने पर आतुर है। अज़हर आतंकवाद को ढाल बना कर पाकिस्तान के मनसूबों को अंजाम दे रहा है जो भारत के लिए ठिक नहीं है। मौलाना मसूद अज़हर जैश-ए-मोहम्मद का फाउंडर होने के साथ इस आतंकी संगठन का कमांडर भी है। यह पाकिस्तानी जिहादी संगठन पीओके से अपने नापाक इरादों को संचालित करता है। शुरुआती दिनों मे जब अज़हर का आतंक कश्मीर मे पनपने की कोशिश कर रहा था, तब 1994 मे आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप मे उसे श्रीनगर से गिरफ्तार कर लिया था। मसूद अज़हर भारत के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल्स की लिस्ट मे है।

आज भारत को 1999 का अपना वो फैसला सबसे ज्यादा अखर रहा होगा जब दिसंबर 1999 मे एयर इंडिया की फ्लाइट आईसी 814 की हाईजैकिंग के वक्त यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार ने अजहर को कांधार ले जाकर आज़ाद कर दिया था । जिसके बाद ही अज़हर ने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की और तब से शुरू हुआ उसके आतंक का तांडव । आरोप है कि वर्ष 2001 में भारत की संसद पर हुए आतंकी हमले के पीछे अज़हर का ही हाथ है। मौजूदा वर्ष की शुरुआत मे पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला और 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उरी स्थित आर्मी बेस पर आतंकी हमला, दोनों के पीछे भी भारत के मोस्टवांटेड अज़हर ही मास्टर माइंड है।

हलांकि 2001 से 2002 तक पाक ने अज़हर को हिरासत मे रख कर पूछ-ताछ ज़रूर की, मगर फिर उसे रिहा कर दिया इस दलील के साथ कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है ना ही कोई केस दर्ज है। साथ ही उसे आम नागरिकों की तरह आज़ादी से देश मे आने जाने और रहने की भी इजाज़त दी। आज अज़हर नाम का आतंक पाक की सरज़मीं पर बेफिक्र आज़ाद ज़िंदगी गुज़ार रहा है। वो शरहद के पार से ही आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और पाक के कई शहरों मे खुलेआम रैलियां करता है।

भारत की कई कोशिशों और बातचीत के बाद भी पाक सरकार की ओर से अज़हर के खिलाफ कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया गया।हालांकि पाक सरकार कभी खुलकर तो अज़हर के आतंकवाद का समर्थन नहीं करती है पर हमेशी से हकीकत और सबूतो को नज़र अंदाज करती रही है। पाक सरकार शुरू से ही एक राग आलाप रही है कि अज़हर के खिलाफ कोई सबूत नहीं है । पर सच यह है कि भारत सरकार ने जितनी बार पाक को सबूतों और हकीकत से रूबरू कराने की कोशिश की, हर बार ही पाक सरकार का लापरवाह रवैया देखने को मिला। अज़हर के खिलाफ भारत द्वारा मुहैया कराए गए सबूतों की जांच की बात जब भी आई पाक टाल मटोल कर बचता ही नज़र आया है।

फिलहाल पाक सरकार भारत के साथ मिलकर आतंक का खात्मा करने के मूड मे नहीं है। पाक सरकार आतंकी संगठनों को सरकारी हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। कहीं ना कहीं आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मकसद से पाक निजी लाभ उठाने के फिराक मे है। एक तरफ जहां अज़हर हर आए दिन कश्मीर मे आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है वहीं दूसरी तरफ कश्मीर मे उपजी अशांति का हवाला देकर पाक वहां के लोगो को अपने मुल्क मे मिलाने की जद्दोजहद मे है । ऐसे मे सोचने वाली बात यह भी है कि आखिर क्यों पाक को आतंकवाद से एतराज़ हो। थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं कि आतंकी संगठन को पाक सरकार का समर्थन नहीं मिल रहा है। पर फिर यह बात भी झुठलाई नहीं जा सकती कि इससे पाक सरकार को एतराज़ नहीं है। इस संगठन को सहयोग चाहे जिस का मिल रहा हो पर लाभ तो पाकिस्तान को ही हो रहा है ।

भारत यूनाइटेड नेशंस (यूएन) मे अज़हर को आतंकी घोषित कर उसे बैन करने की अपील कर रहा है। भारत की ओर से मांग है कि यूएन प्रतिबंध की धारा 1267 के तहत अज़हर पर कार्रवाई करे और उसे बैन करे । भारत की दलील है कि यूएन के इस कदम से दुनिया में मौजूद आतंकवाद और इसे पनाह देने वाले देशों को एक कड़ा संदेश जाएगा। मगर फिलहाल तो भारत की यह कोशिश सफल होती नहीं दिखती है। चीन बार बार अड़ंगे लगाने से बाज़ नहीं आ रहा। जिसकी वजह चीन की भारत से पुरानी दुश्मनी और पाक से गहराता रिश्ता है। जानकारों का मानना है कि कुछ अहम मसले हैं जो चीन को हमेशा से ही खटकते रहे हैं। उनमें से एक मसला भारत का दलाई लामा को समर्थन देना है। चीन की मिडिया हमेशा से दलाई लामा को समर्थन और उन्हें शरण देने के लिए भारत की आलोचना करता रहा है।

चीन को घेरने के लिए अमेरिका, भारत और जापान अब साथ आ गए है। तीनों देशों की नौसेनाओं ने पिछले वर्ष जहां संयुक्त युद्धाभ्यास किया था वहीं इस वर्ष जून मे तीनों देशों की सेनाएं साथ थी। यह बात तो जग जाहिर है कि तीनों ही देश चीन के लिए सिरदर्द है।
वहीं चीन भारत द्वारा लद्दाख मे मिलीट्री बेस बनाए जाने से बौखलाया हुआ है। लद्दाख मे स्थित दौलत बेग ओल्डी वह मिलीट्री बेस है जो अक्साई चीन से मात्र 8 किलोमीटर दूर और लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी के उत्तर पश्चिम मे पड़ता है। काराकोरम रेंज मे स्थित इस मिलीट्री बेस पर भारत ने 20 अगस्त 2013 मे इंडियन एयरफोर्स के खास ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी -130 जे सुपर हरक्यूलियम की लैंडिंग कराई।
इसके अलावा पीओके काॅरिडोर का ताजा मसला दोनो देशों के बीच तल्खियां पैदा कर चुका है। चीन तो भारत को पीओके काॅरिडोर से दूर रहने और इससे ध्यान हटाने की चेतावनी भी दे चुका है। हालांकि इस बार ब्रिक्स के अन्य देशों की मौजूदगी में मोदी ने साफ शब्दों में कहा कि आतंक विरोधी सहयोग ज़रूरी है। इसका इशारा चीन की ओर ही था। पर अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि पाकिस्तान के चहेते अजहर का विरोध चीन करता है या नहीं ।

 

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