एक बार मैं ट्रेन में सफर कर रही थी। बगल में ऊपर की बर्थ पर एक अंकल बैठे थे (अपने बेटे के साथ जो उनके साथ ही बैठा था ) और वो मुझे लगातार घूर रहे थे। उनकी तरफ से ध्यान हटाते हुए मैंने खुद को काम में व्यस्त कर लिया। कुछ देर बाद मैं मीडिल बर्थ पर जाकर लेट गयी, मेरे पांव रास्ते की तरफ थे। मैंने अपना फोन निकाला और अपने दोस्त को बर्थडे विश करने लगी। क्योंकि रात के 12 बज रहे थे और मैं फोन पर बात कर रही थी वो अंकल मुझे घूर घूर के देखने लगे। कुछ देर घूरने के बाद वे अपनी सीट से उतरे और मेरे पैर को टच करते हुए निकल गए (मैं बात करने में बिज़ी थी तो मैंने ध्यान नहीं दिया) वो बार-बार निकलते और मेरे पैरों को टच करते। अंत में जब मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया तो वे रुक गए और बैठ गए वापिस जाकर।
क्यों जब लड़के के दोस्त उसकी गर्लफ्रेंड या वाइफ के बारे में कुछ गलत बोलते हैं तो लड़का अपने दोस्तों का मुंह बंद करने के बजाए लड़की पर आकर चिल्लाता है और उसे हिदायत देता है कि ढंग के कपड़े पहन कर जाए और उनके सामने अपने एटिट्यूड का ध्यान रखे थोड़ा? क्यों हम उन लड़को की आंखों पर पर्दा नहीं डाल सकते अपनी लड़कियों को पर्दे में रखने के बजाए?
लड़के के पहले कितने भी रिलेशनशिप्स हो “ओके फाइन” है, लड़की को उसे स्वीकार करना ही है, पर आज भी बहुत से ऐसे लड़के हैं जो बात जब लड़की पर आती है तो कहते हैं, “मुझे पहले ही सब कुछ सच सच बता दो क्योंकि बाद में मुझे झूठ नहीं पसंद और मैं सहन नहीं कर पाउंगा।” और अगर पता चल जाये कि लड़की का रिलेशनशिप में पास्ट एक्सपिरियेंस रहा है तो “देख बहन मैं प्यार तो तुझसे बहुत करता था पर क्या है ना आंखों देखी मक्खी निगली नहीं जाती क्या करूं? मुझे तो दूध की धुली पढ़ी लिखी लड़की चाहिए थी, चाहे मैं पानी से भी धुला हुआ ना हूं।
क्या लड़कियां भी इसी नज़रिये के साथ नहीं जी सकती? क्यों हम इस तरह की सोच बंद नहीं कर सकते वो भी आज के समय में ? रूल्स सबके लिए बराबर होने चाहिए। इस तरह के रूल्स लड़कों पर भी तो लगाए जा सकते हैं।
हालांकि बहुत से ऐसे लोग हैं जिनकी मानसिकता इस तरह की नहीं है। उनको पता है कि रूल्स लड़के के लिए और लड़कियों के लिए बराबर होते हैं। उनकी रेस्पेक्ट करें और उनको बढ़ावा दे ताकि दुनिया में अच्छाई बिखरे। मेरी इस छोटी सी दुनिया में भी ऐसे कुछ लोग है और में उनसे बहुत प्यार करती हूं।
ओ पापा की प्यारी सी गुड़िया, तुम खूब खूब पढ़ो और आगे बढ़ो और मज़े करो, अपनी ज़िन्दगी जियो आराम से। इस दुनिया में किसी के पास भी इतना हक नहीं है कि वो तुम्हारे चरित्र पर ऊंगली उठा सके।
आवाज़ उठाओ, बुराई के खिलाफ
और अच्छाई को साथ लेते चलो।