2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वी जयंती होगी और पूरा देश आकलन कर रहा होगा 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा शुरु किए गए स्वच्छ भारत मिशन का। देश को स्वच्छ बनाने और महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत की कल्पना को पूरा करने के उद्देश्य से शुरु किया गया ये अभियान आज अपने 2 वर्ष पूरे कर चुका है। आइए जानते हैं इस मिशन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और ये भी कि कितना कारगर रहा है ये मिशन।
स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य
भारत के 6.08 लाख गांवों और 4,041 शहर को खुले में शौच से मुक्त बनाना।
2.55 लाख पब्लिक टॉयलेट्स का निर्माण करना।
2.52 लाख कम्यूनिटी टॉयलेट बनाना।
66 लाख 42 हज़ार 221 इंडिविजुअल टॉयलेट बनाना।
कुल 82 हज़ार वॉर्ड्स में डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन।
लोगों को सफ़ाई के प्रति जागरूक और प्रेरित करना।
कहां तक पहुंचा मिशन
मिशन के 2 साल में अबतक 4041 शहरो में से महज़ 141 को खुले में शौच से मुक्त बनाया गया है।
शहरी क्षेत्रों में अबतक महज़ 22 हज़ार 293 पब्लिक टॉयलेट्स बनाये गये।
निर्धारित लक्ष्य का 30% यानी 76,744 कम्यूनिटी टॉयलेट का निर्माण किया गया।
शहरी क्षेत्र में अब तक 24 लाख 5 हज़ार 66 इंडिविजुअल टॉयलेट्स बनाए गए हैं।
6 लाख 8 हज़ार गावों में से अब तक लगभग 1 लाख गांवों (स्वघोषित) को ही खुले में शौच से मुक्त किया गया है।
डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन कुछ शहरों तक ही सीमित।
कुछ और फैक्ट्स
सिक्किम एक मात्र राज्य जो खुले में शौच से 100 प्रतिशत मुक्त।
कुल 24 जिले खुले में शौच से मुक्त।
केरल, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र भी भविष्य में हो सकते हैं खुले में शौच से मुक्त।
476 शहरों में किए गए सर्वे में मैयसूर स्वच्छ भारत अभियान की रैंकिंग में सबसे उपर।
टॉप 100 में 39 शहर दक्षिण भारत से।
ग्रामीण ईलाकों में हिमाचल प्रदेश का मंडी सबसे उपर।
सरकारी नीतियों में तेज़ी लाने के साथ साथ गंदगी के प्रति रवैय्ये में बदलाव की भी ज़रूरत है। सार्वजनिक और निजी जगहों को स्वच्छ रखना सरकार के साथ साथ बड़ी सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है जिनमें हमारे निजी प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं। और हां महज़ 2 अक्टूबर को झाड़ू पकर सफाई करने से फोटो तो अच्छी आ सकती है लेकिन कितनी प्रेरणा मिल सकती है ये कहना मुश्किल है।
(आंकड़े- पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार)