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“डार्कनेट” की डरावनी गलियां

भावना पाठक:

बचपन से ही अंधेरी गलियों से एक डर का रिश्ता सिखाया जाता है हमें, वजह होती है अंधेरे में अंजाम दिए जाने वाले अपराध। वक्त बदला लोगों को नया ठिकाना मिला इंटरनेट, और लोगों के बदलते ठिकानों के साथ अपराध ने भी अपना ठिकाना इंटरनेट को बनाया

अगर किसी सुनसान गली में कोई आपको परेशान कर रहा हो तो वहां आप फिर भी शोर मचा कर मदद की गुहार लगा सकते हैं। अगर शारीरिक रूप से सक्षम हों तो उससे लड़ सकते हैं, लेकिन इन्टरनेट की अंधेरी गलियों से गुज़रते वक़्त आप ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते क्योंकि यहां अपराध करने वाला अदृश्य होता है।

डिजिटल किडनैपिंग, सायबर बुलीइंग, हैकिंग, फिशिंग, सायबर फ्रॉड आदि सायबर अपराधों के कुछ नाम हैं और आजकल एक नया नाम सुनने को मिल रहा है सायबर आतंकवाद। फिशिंग के ज़रिये अपराधी आपके गोपनीय दस्तावेज़ों, यूज़रनेम, पासवर्ड, सिक्योरिटी कोड और क्रेडिट कार्ड आदि से सम्बंधित जानकारी हैक कर सकते हैं और वो ऐसा करते हैं ईमेल पर वायरस या मालवेयर भेज कर।

बेहतर होगा कि अगर किसी लिंक पर आपको संदेह हो तो उसको ना खोलें क्योंकि वो अनजाना लिंक वायरस हो सकता है जो आपके कंप्यूटर या फ़ोन को हैक कर सकता है। इस तरह सायबर अपराधी आपके फ़ोन या मेल पर मौजूद जानकारी हासिल कर उसका गलत फायदा उठा सकता है। अगर आप फ़ोन और कंप्यूटर पर इन्टरनेट इस्तेमाल करते हैं तो एंटीवायरस ज़रूर डलवाएं और समय-समय पर उसको अपडेट करते रहें।

सायबर अपराधी दुनिया के किसी भी कोने में बैठ कर कहीं भी सायबर अपराध को अंजाम दे सकते हैं और इसके लिए वो डार्कनेट का प्रयोग करते हैं। डार्कनेट वो अदृश्य या डीप नेट है जिसका पता आयी.पी. अड्रेस पता होने के बावजूद भी नहीं लगाया जा सकता कि उसका इस्तेमाल आखिर कौन कर रहा है? डार्कनेट का इस्तेमाल करने वाली वेबसाइट टी.ओ.आर. नेटवर्क का इस्तेमाल करती है, जो प्याज की परतों की तरह एक के बाद एक कई लिंक खोलता चला जाता है और ये लिंक्स हमें गुमराह करते हैं, पता नहीं चलने देती कि अपराधी कौन है और वो कहां से आपराधिक गतिविधियों को संचालित कर रहा है? डार्कनेट में यह पता लगाना बड़ा कठिन होता है की डाटा आ और जा कहां से रहा है। इसका इस्तेमाल आजकल ह्त्या, किडनैपिंग, ड्रग्स बेचने, सायबर फ्रॉड जैसे अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा है।

डार्कनेट पर रोक फिलहाल असंभव है 

डार्कनेट पर रोक लगाना फिलहाल असंभव है क्योंकि जिस टी.ओ.आर. नेटवर्क का इसमें इस्तेमाल किया जाता है, उसका इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिका की मिलेट्री गोपनीय दस्तावेजों और अपनी पहचान को छुपाने के लिए करती थी। आज भी अमेरिका की मिलेट्री कई सरकारी दस्तावेजों की गोपनीयता को बनाये रखने के लिए डार्कनेट का इस्तेमाल करती है और कई सरकारें भी इसलिए इस टी.ओ.आर. को डार्कनेट पर रोक लगाने के लिए नहीं कह सकती और इसी बात का फायदा उठाकर सायबर अपराधी डार्कनेट का नकाब पहनकर सायबर अपराध को अंजाम दे रहे हैं।

तो करें क्या

एक पुरानी कहावत है ‘इलाज से एहतियात भला’, जितना संभव हो इन्टरनेट का इस्तेमाल करते वक़्त एहतियात बरतें। ज़रूरी दस्तावेजों को मेल पर न रखें, अपने एटीएम कार्ड का नंबर और पासवर्ड भी फोन और मेल पर सेव न करें, स्पैम मेल को न खोलें क्योंकि उसमें वायरस हो सकता है जो आपकी ज़रूरी फाइल को करप्ट कर सकता है। सिक्योरिटी कोड को मज़बूत बनाएं और उसके लिए किसी तकनीकी विशेषज्ञ की सहायता लें ताकि उसको आसानी से तोड़ा न जा सके। मीडिया लिटरेट बने। जिस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसके बारे में बेहतर ढंग से जाने। इन्टरनेट बैंकिंग करते वक़्त खासा एहतियात बरतें और लॉग आउट करना न भूलें। मीडिया की अज्ञानता को मीडिया लिटरेसी के ज़रिये ही दूर किया जा सकता है।

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