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फिदेल कास्त्रो के 6 क्रांतिकारी डायलॉग्स

क्यूबा के पूर्व प्रेसिडेंट क्रांतिकारी नेता फिदेल कास्त्रो के मरने की खबर के बाद, अमरीका में जश्न का माहौल था। लोग पार्टी कर रहे थे और #FidelCastroDiedParty के नाम से ट्विटर पर हैशटेग चला रहे थे। ज़ाहिर सी बात है, कास्त्रो और क्यूबा ने अमरीका के सम्राज्यवाद, खूनी पूंजीवाद के खिलाफ ज़ोरदार लड़ाई लड़ी और सफल हुए। जबकि क्यूबा बेहद छोटा ‘पिद्दी’ सा देश है, और कास्त्रो उसी छोटे से देश के नेता।

वैसे स्वाभाविक है अमरीका को कास्त्रो जैसे नेता से डरना ही चाहिए था। इसलिए भी डरना चाहिए था कि सीआईए जैसी संस्थाओं के जहर से कास्त्रो नहीं मरा, हत्या के कई षडयंत्रों के बावजूद वो जीवित रहा। अमरीका को इसलिए भी डरना चाहिए क्योंकि जब उसका राष्ट्रपति, जो दुनिया का सबसे शक्तिशाली आदमी माना जाता है, अपने यहां सबके लिये हेल्थ सुविधा पहुंचाना का एक हेल्थकेयर बिल भारी कॉर्पोरेट लॉबी की वजह से पास नहीं करवा पाया, वहीं दूसरी तरफ क्यूबा में कास्त्रो के नेतृत्व में बहुत पहले यह काम कर लिया गया। अमरीका को इसलिए भी डरना चाहिए क्योंकि जब अफ्रीका में इबोला क्राइसिस चल रहा था, अमेरीका ने वहां अपनी सेना को भेजा, जबकि कास्त्रो ने डॉक्टर और नर्स भेजे। कास्त्रो अमरीकी सत्ता के खिलाफ भले थे, लेकिन उन्होंने अमरीकी ब्लैक आंदोलन को हमेशा सपोर्ट किया। अमरीका का डरना ज़रुरी था क्योंकि कास्त्रो एक तरफ पूंजीवादी नफरत करते थे वहीं दूसरी तरफ वे लोगों के सबसे चहेते राष्ट्रपति थे।

हालांकि कास्त्रो की कुछ आलोचनाएँ भी हैं मसलन, अपने चार दशक से भी लंबे नेतृत्व में देश में दूसरी पंक्ति का नेता तैयार नही कर पाये। एक अच्छे नेता की ये भी तो खूबी है कि वो अपने जैसे कई नेताओं को तैयार करे। और फिर जब सत्ता किसी को सौंपने की बात हुई तो अपने भाई को दे दिया। ठीक है कह दो पॉलिटिकली ठीक है,लेकिन मोरली तो गलत ही है। लोगों की चॉइस भी कोई चीज़ है, ऊपर से मिलिट्री पहनावा। इन कम्युनिस्टों को मिलिट्री जैकेट, टोपी से प्रेम है। लेकिन शांति और मानवता की लड़ाई लड़ने वालों को मिलिट्री तौर-तरीकों से परहेज नहीं करना चाहिए था?

खैर, कास्त्रो के कुछ बयानों का हिन्दी अनुवाद यहां ज़रुरी है, क्योंकि ज़्यादातर उनकी बातें स्पेनिश के बाद इंग्लिश में ही लिखी-पढ़ी गयी हैं-

– हम अक्सर मानवाधिकार के बारे में सुनते हैं लेकिन मानवता के अधिकार के बारे में भी बात करना जरुरी है। क्यों कुछ लोगों का नंगे पाँव चलना जरुरी है ताकि दूसरे मंहगी गाड़ियों में चल सकें? क्यों कुछ लोगों को सिर्फ 35 साल तक जिन्दा रहना चाहिए, ताकि दूसरे 70 साल तक जीवित रह सकें? क्यों कुछ को भयानक गरीबी में गुज़ारा करना चाहिए, ताकि दूसरे लोग बहुत ज़्यादा अमीर बन सकें? मैं इस दुनिया के उन बच्चों की तरफ से बोलता हूं जिन्हें दो जून की रोटी नसीब नहीं है। मैं उन लोगों की तरफ से बोलता हूं जिन्हें अपने इलाज के लिये दवा उपलब्ध नहीं है, मैं उन लोगों के पक्ष में बोलता हूं जिनके जीने के अधिकार और मानवीय गरिमा को छिन लिया गया है।

– भौतिक जीवन अल्पकालिक है, यह निर्दयी होकर गुजरता है। प्रत्येक मनुष्य को यह सच्चाई सिखायी जानी चाहिए कि आत्मा का आदर्श किसी भी भौतिक जीवन से ऊपर है। इन आदर्शों और मूल्यों के बिना ज़िन्दगी का क्या अर्थ है? इनके बिना जीने का क्या मतलब है? जो लोग इस बात को समझते हैं और समर्पण के साथ न्याय और अच्छाई के लिये अपनी जान गंवाते हैं- वे मर कैसे सकते हैं?

– आज पूरा देश एक बहुत बड़ी यूनिवर्सिटी है।

– हमारे देश में छात्र-टीचर अनुपात सबसे कम है, क्योंकि हम युद्ध से पांच गुना ज्यादा स्कूल पर खर्च करते हैं– यह ठीक हमारे दुश्मन देश अमेरिका के विपरीत है। (फिदेल विश्व में सबसे ज्यादा साक्षरता दर हासिल करने वाले देश क्यूबा के बारे में बताते हुए)

– वे समाजवाद की असफलता की बात करते हैं, लेकिन अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमरीका में पूंजीवाद की सफलता की कौन सी कहानी है?

– मैं पूंजीवाद को बहुत बकवास मानता हूं क्योंकि यह गंदा है, भद्दा है, लोगों में अलगाव की भावना पैदा करता है और युद्ध, पाखंड, गला काट प्रतियोगिता की वजह बनता है।

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