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कपिल शर्मा, कॉमेडी के नाम पर स्टीरियोटाइपिंग की दुकान बंद करो

“आपको किस तरह के लड़के पसंद हैं?  अअअ… जिनका सेन्स ऑफ ह्यूमर अच्छा हो।”

फिर ये सुनने के बाद कपिल शर्मा एक ‘कुटिल’ मुस्कान लाते हैं अपने चेहरे पर। शायद यही सुनने के लिए वो इस सवाल को पूछते हैं, तकरीबन हर लड़की से जो उनके शो पर आती हैं। मैं आपको ये बताना चाहता हूँ कि [envoke_twitter_link]जिसे आप सेन्स ऑफ ह्यूमर समझ रहे हैं, वो छिछोरापन है[/envoke_twitter_link] और ऐसे निम्नतम दर्जे के व्यवहार, जोक भी नहीं कहूँगा, पर आपके चेहरे पर थूकने का मन करता है आपके स्टाइल में- आथू…

कपिल, तुम्हें पता है कि कितनी संस्थाएँ और अनगिनत लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और उतरते रहे हैं समाज में व्यापक रूप से फैले रूढ़िवाद, बाॅडीशेमिंग, स्त्रियों के प्रति अन्याय, LGBT के प्रति भेदभाव तमाम चीजों को खत्म करने के लिए? जहाँ एक तरफ लोग लड़ाईयाँ लड़ रहे हैं इन्हीं चीजों को खत्म करने के लिए और तुम यार लोगों में पहले से मौजूद इन चीजों को बढ़ा रहे हो?

तुम्हें लगता है कि लोग तुम्हें पसंद करते हैं? तुम्हारे सेन्स ऑफ ह्यूमर को? नहीं, लोग उन्हें पसंद करते हैं जिनके जैसा वो बनना चाहते हैं। तुम्हारे में वो खुद को देखते हैं। तमाम लड़ाईयाँ, संघर्षों और हजारों लोग पर होते अत्याचार से वाकिफ होने के बावजूद तुम्हें देखकर लोगों को फिर से ये सब कुछ नाॅर्मल लगने लगता है।

अच्छा, क्या करते हो तुम? काॅमेडी श़ो चलाते हो? अपने कोएक्टर्स के चेहरों का मजाक उड़ाना, उनके ड्रेसिंग सेन्स का मजाक उड़ाना, ‘क्राॅस ड्रेसर्स’ बनके जो आते हैं, उनपे भद्दे कमेन्ट्स करना, यहाँ तक कि अपने श़ो के म्यूजिसियन्स के भी अपियरेन्स का मजाक उड़ाना और हर श़ो में। चुन चुन के ऑडियन्स लाते हो और स्टीरियोटाइप करते हो उनके क्षेत्र, उनकी भाषा, उनका रंग सबका मज़ाक उड़ा कर। फिर [envoke_twitter_link]तुम जिस तरह से आने वाले हर फीमेल गेस्ट से पेश आते हो, इसको छेड़खानी और ठरकीपन कहते हैं।[/envoke_twitter_link] तुम्हें पता है, तुम्हारी वजह से ये चीजें नार्मल हो जाती हैं तुम्हारे दर्शकों में।

कितने लोगों के मेहनत को हर सप्ताह तुम ‘undo’ करते हो, तुमको अंदाज़ा नहीं है, इस बात का।तुम्हारा डिफेंस हो सकता है कि लोग इस श़ो को पसंद कर रहे हैं और तुम इससे पैसे कमा रहे हो। पर तुमको पता है कि बुरी चीजें प्रायः पसंद की जाती हैं। तभी तो सारी लड़ाईयाँ लड़ी जाती हैं, लोगों को शिक्षित किया जाता है, बताया जाता है कि ये सही नहीं है, इससे बहुतों के जीवन प्रभाव पड़ रहे हैं, गलत वाले। लोगों को दोष नहीं दिया जा सकता, इसके लिए। तुमको और तुम्हारे साथ वालों को ये प्लेटफार्म मिला है, काॅमेडी करना है, करो, अच्छी बातें फैलानी है, फैलाओ, नहीं फैलानी, मत फैलाओ। पर दूसरों की मेहनत को बरबाद मत करो।

और तुम बोलते हो, कि तुम्हारा श़ो पारिवारिक है? बच्चे, बूढ़े सभी एक साथ देख सकते हैं? जो बच्चे बड़े होंगे, क्या उनके लिए सही होगा ये समझना कि मोटे व्यक्ति का मजाक उड़ाओ, औरतों से गंदी तरह से बात करो, किसी के रंग की खिल्ली उड़ाओ, किसी के चेहरे का मजाक उड़ाओ, किसी के औकात का … इन सारी चीजों को विसंगतियों के वर्ग में लाकर खड़ा कर दिया है तुमने। किसी भी लड़की को छेड़ना कूल और ह्यूमरस ड्यूड की पहचान है, यही सिखाओगे तुम अपने भी घर के बच्चों को?

इन सबके लिए तुम सब दोषी हो, तुम,  तुम्हारा डायरेक्टर, तुम्हारे को स्टार्स, सिद्धू। सभी लोग। देश में प्रतिभावान लोगों की कमी नहीं, तो सबसे पहले एक अच्छा स्क्रिप्ट राइटर ढूँढो और श़ो का स्टैंडर्ड बढ़ाओ क्यूँकि इसकी पहुँच ज़्यादा है और लोगों पर डायरेक्ट असर पड़ता है।

और कम से कम कीकू शारदा, अली असगर को अच्छे रोल दो। वो काफी अच्छे कलाकार हुआ करते थे।

 

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