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500 और 1000 रुपये के नोट वापस लेने के फैसले से मैं क्यों खुश हूं

विवेकानंद सिंह:

आखिर 500 और 1000 रुपये के नोट वापस लेने के फैसले से मैं क्यों खुश हूं?

– मैं एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कर्मचारी हूँ। मेरी मासिक व वार्षिक आमदनी शुद्ध मेरी मेहनत की कमाई है।

– जहां तक तत्कालिक दिक्कत की बात है, तो बता दूं कि मैं उस समाज का रहने वाला हूँ, जहां धान के बदले चावल, गेंहू के बदले आटा और अन्य किराना उत्पाद मिल जाते हैं। अगर आप भी गांव से होंगे तो बचपन में धान से आइसक्रीम खा चुके होंगे।

– साथ ही मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाये गये फाइनेंसियल इनक्लूजन पॉलिसी के तहत आज 2000 से अधिक आबादी वाले गांव में किसी एक राष्ट्रीयकृत बैंक के ब्रांच जरूर हैं।

– मोदी सरकार के जन धन योजना के तहत लगभग हर गरीबों के भी खाते बैंकों में खुल गये हैं। यानी इस परिस्थिति में बहुसंख्यक मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार को ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

– [envoke_twitter_link]अपर क्लास (एक नंबर वाले) लोड नहीं ले रहे हैं। उनका काम महीनों क्रेडिट पर चल जाता है।[/envoke_twitter_link] वे भंजा भी लेंगे और जमा भी कर देंगे।

– अपर क्लास (दो नंबर वाले) इनकी फटी पड़ी है, किसी तरह भी चाहते हैं कि कुछ दिन की मोहलत मिल जाती या कुछ आंदोलन वगैरह हो जाता। इस वर्ग में नेता, प्रॉपर्टी डीलर जैसे लोग बहुतायत है। (स्ट्राइक इन्हीं जैसों पर है)

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– अपर मिडिल क्लास को दिक्कत हो रही होगी, क्योंकि इसमें ज़्यादातर तो सरकारी अधिकारी लोग आते हैं। इनकी स्थिति न उगलो- न निगल सको वाली है। बाकी इस वर्ग के लोग भी बहुत जल्दबाज़ी में रहते हैं, स्वाभाविक है कि दिक्कत होगी।

– इस फैसले से वैसे धन भी सामने आयेंगे, जो अब तक अनअकॉउंटेड थे। उसका लाभ सरकार को होगा और इससे सरकार के खाते में पैसे आयेंगे, तो फिर देश भी खुशहाल होगा।

– [envoke_twitter_link]इसका मंहगाई कनेक्शन भी है, अनियंत्रित लिक्विडिटी (रु.) के मार्किट में होने से मंहगाई बढ़ती ही बढ़ती है[/envoke_twitter_link], जिसका नुकसान सबसे ज़्यादा गरीबों को होता है।

– इस फैसले से कम से कम आने वाले कुछ वर्षों में तो बड़ी लिक्विडिटी (करेंसी) पर पूरी तरह से आर.बी.आई. का नियंत्रण होगा।

फैसले के खतरे –

– लोकतंत्र में अमूमन ऐसे फैसले लेने के कई खतरे रहते हैं। बिना साहस के कोई भी सरकार उन लोगों को नाराज़ नहीं करना चाहेगी, जो ठेकेदारी या अन्य लोभ, लालच में उनकी पार्टी की फंडिंग करते हैं। भारतीय राजनीति में सबसे ज्यादा फंडिंग करप्शन है, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम बेहद साहसिक है।

– [envoke_twitter_link]इस तरह टीवी पर ऐलान करने की परंपरा न बने, क्योंकि यह आर.बी.आई. की अनुशंसा के बाद का फैसला होगा।[/envoke_twitter_link] लेकिन कल सरकार देशहित बोलकर कोई अन्य फैसला भी इस अंदाज़ में ले सकती है, जो उनके मन का हो। [envoke_twitter_link]चूँकि जनता के अधिकांश वर्ग ने इसे सहर्ष स्वीकारा है, तो सरकार कल भी कुछ ऐसा धमाकेदार करने का सोच सकती है[/envoke_twitter_link], जो लोकतंत्र को मुश्किल में डाल सकता है।

– बैंकों, ए.टी.एम. में नो डाउट भीड़ है चूँकि देश की आबादी भी अच्छी-खासी है, [envoke_twitter_link]लेकिन अपने सिस्टम की आपातकालीन जाँच का यह एक अनोखा प्रयोग हो सकता है।[/envoke_twitter_link]

– अंतिम बात- मोदी जी एक किसान के बेटे की तरफ से आपको शुभकामनाएं और धन्यवाद है।

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