एक प्यारी सी तस्वीर है, पति अपनी पत्नी की बाहों में हाथ रखे बैठा है और दोनों मुस्कुरा रहे हैं।
लेकिन यह मुस्कुराहट तुम्हें दिखाई नहीं देगी, क्योंकि तुम्हारी नज़रें बीवी के बिना बांह वाले गाउन पर अटक गई हैं, उसके खुले हुए गले में तुम झांकना चाहते हो। तुम कहना तो चाह रहे हो कि इस गाउन को निकाल फेंको लेकिन लिखने लगे हो धर्म और मज़हब की फरेबी बातें।
तुम पति को लानते दे रहे हो कि कैसे मुसलमान हो जो बीवी को इस तरह के कपड़े पहनने की इज़ाजत देते हो, लेकिन कभी अपनी बीवी से पूछा है, कि तुम कैसे पति हो, जो मोहल्ले की हर जवान होती लड़की के खुलते हुए जिस्म को देखना चाहते हो और अपनी बीवी को उन काले अंधेरों में कैद रहने को कहते हो।
कुछ वो भी हैं जो इसे सिर्फ धर्म के चश्में से देख रहे हैं, लेकिन चश्मों के पीछे सभी की नजरों में तलाश सिर्फ नंगे जिस्म की ही है। इसीलिए तो बीच बाजार में किसी का दुपट्टा खींच लिया जाता है, शोर मचाने पर खून निकाल दिया जाता है, लेकिन वहां भी तुम्हारी नजरें दुपट्टा खींचने वाले पर नहीं बल्कि जिस जगह से दुपट्टा खींचा गया है वहां अटक जाती हैं।
तुम उनके खेलने से पहले उनके कपड़े टटोलते हो, स्कर्ट की लंबाइयों को नापते हो, छोटे निकरों में उनकी हंसी उड़ाते हो, जबकि वो तुम्हे नजरअंदाज़ किए बस खेले जा रही हैं, सरहदों को पार कर शादियां कर रही हैं। उन्हें जहां हिजाबों में बांधा जाता है, खुलकर उसका विरोध कर रही हैं। तुम किताबों से हटाना चाहते हो कि तुमने उन्हें स्तन ढकने की इज़ाजत नहीं दी, जबकि अपनी नज़रों का नंगापन तुम हर रोज खुद ही लिखे जा रहे हो।
किसी के उप्स मोमेंट पर तुम नजरें गड़ाए रहते हो, किसी देश में दुल्हनों के साथ होने वाली वाहियात परंपराओं को सिर्फ इसलिए देख रहे हो क्योंकि तुम्हें उसमें भी भूख नजर आ रही है। फिल्म में कलाकार के वीडियो लीक करके उन्हें एमएमएस बता रहे हो। तुम्हारी नज़रें सड़क, पार्क, मेट्रो से होते हुए किसी के बेडरूम तक जा पहुंची हैं।
लेकिन देखो ना किसी को परवाह नहीं है तुम्हारी इन बेशर्म नजरों और बदजुबानियों की। वह पति आज भी अपनी बीवी के साथ खड़ा है, वैसे ही मुस्कुराता हुआ, उसी लिबास में। वह लड़कियां आज मेडल जीत रही हैं, उन्ही स्कर्ट और निकरों में जिन्हें तुम देख नहीं पाते। और देखना एक दिन तुम्हारी इन आंखों में यूं ही मोतियाबिंद हो जाएगा और हाथेलियों में होने लगेगा कोढ़, लेकिन शक़ है कि तब भी तुम्हारी जुबान से लार का टपकना बंद होगा या नहीं
लेकिन फिर भी परवाह किसे है…