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बिना बिजली के कैसे स्मार्ट बनेंगे राजस्थान के क्लासरूम?

आज सारा भारत डिजिटल इंडिया के नारे लगाते हुए हर क्षेत्र में तकनीक का प्रयोग शुरू करने की कोशिश कर रहा है। कृषि में ड्रिप सिस्टम, शिक्षा में स्मार्ट क्लास आदि। पिछले वर्ष राजस्थान सरक़ार ने सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू करने के लिए एरनेट इंडिया के साथ मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग साइन किया। यह सच में एक सरहानीय कदम है, लेकिन क्या ये सच में अपना उद्देश्य प्राप्त करेगा या फिर अखबार में बस सरकार की उपलब्धियों की खबर बनकर रह जाएगा।

अगर ज़मीनी स्तर देखें तो कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है। क्योंकि हकीकत में स्मार्ट क्लास तो बहुत दूर की बात है आज तक राजस्थान के स्कूलों में कंप्यूटर तक उपलब्ध नहीं हो पाएं हैं। चलो कंप्यूटर तो स्मार्ट क्लास के साथ आ जाएंगे लेकिन उससे भी बुरी स्थिति ये है कि आज भी कई सरकारी स्कूलों में बिजली भी नहीं है। चूरू जिले की तारानगर तहसील में ही अकेले 30 से ज़्यादा ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जहां बिजली नहीं है तो सोचिये पूरे राजस्थान में ऐसे कितने स्कूल होंगे। तारानगर तहसील के एक स्कूल की तो ऐसी दशा है की बिजली का खम्बा स्कूल से 500 मीटर की दूरी पर है लेकिन फिर भी स्कूल में बिजली नहीं है।

राजस्थान का चूरू इलाका जहां गर्मी इंसान को सूरज को कोसने पर मजबूर कर देती है, वहां बच्चे कक्षा में पसीना बहते हुए बैठते है। स्कूल में सिर्फ 1 टीचर और 1 हेडमास्टर है। ऐसे में बिजली विभाग के चक्कर काटना भी मुमकिन नहीं है। अगर वो चक्कर काटेंगे तो स्कूल की डाक , मिड डे मील का काम कौन करेगा? इसमें बच्चों की पढ़ाई तो दूर का विषय है।

ये तो सिर्फ देश के सबसे बड़े राज्य के छोटे से एक गांव की हकीकत है। न जाने पूरे राज्य की हकीकत कितनी डरावनी होगी और पूरे देश की कितनी बुरी होगी। हम जहां 3जी और 4जी के लिए अपना दिमाग लगा रहे हैं, वहां हमारा कितना हिस्सा बिजली जैसी मूलभूत सुविधा के बारे में सोच रहा है। सोचिये इस पर ज़रा, थोड़ा डर लगेगा सच्चाई से।

यह फोटो प्रतीकात्मक है।

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