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25 मार्च 1989: जयललिता की तुलना हुई द्रौपदी से और ली गई एक प्रतिज्ञा

25 मार्च 1989, तमिलनाडु विधानसभा। जो अंदर हुआ उसके अलग-अलग वर्ज़न्स, अलग-अलग लोगों से सामने आएं। लेकिन एक दृश्य जो सबने देखा वो था जयललिता का विधानसभा से परेशान हालत में अपनी खीची(कई वर्ज़न्स में फटी हुई साड़ी) हुई साड़ी में रोते हुए बाहर आना। जहां नियम बनाए जाते हैं वहां प्रदेश की पहली महिला प्रतिपक्ष की नेता के साथ ऐसा व्यवहार पूरे देश को हिला कर रखने वाला था। और इसी दिन जयललिता ने प्रतिज्ञा ली कि अब जब वो विधानसभा लौटेंगी तो तब ही जब करुणानिधि की पार्टी को सत्ता से निकाला जा चुका होगा या वो खुद मुख्यमंत्री बन जाएंगी।

पीछे की कहानी के पीछे भी कई कहानियां है। उस वक्त करुणानिधि चीफ मिनिस्टर थे और फाइनैन्स डिपार्टमेंट भी वही देख रहे थे। नटराजन जो जयललिता के करीबी माने जाते थे और ससिकला(जयललिता की दोस्त) के पति, पर चीटिंग का केस फाइल किया गया और पुलिस ने उनके घर पर छापा मारा। इसके विरोध में जयललिता ने रेज़िगनेशन लेटर लिखा कि वो 15 मार्च 1989 से MLA के पद से इस्तीफा दे रही हैं, जो कैसे विधानसभा स्पीकर एम.तमिलकुडिमगन तक पहुंचा ये आज भी रहस्य है। तमिलकुडिमगन ने इसे एक्सेप्ट भी कर लिया।

इसके बाद 25 मार्च को करुणानिधि सदन में बजट पढ़ने  की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इसी बीच कांग्रेस खेमे से आवाज़ आई कि जयललिता के साथ गलत हुआ है और रेज़िगनेशन लीक होने से लेकर नटराजन के घर रेड पड़ने तक का पूरा एपिसोड बस राजनीतिक फायदे के लिए किया गया है। जयललिता ने मौके को मुफीद समझ कर करुणानिधि को क्रिमिनल कह डाला। इस बात पर करुणानिधि को गुस्सा आया और उन्होंने अपने माइक को ढकते हुए जवाब में निजी टिप्पणी कर दी। इस पर जयललिता की पार्टी से एक MLA ने करुणानिधी को धक्का दिया। इसके बाद जयललिता के तरफ बजट के बंडल फेके जाने लगे।

जयललिता को बचाने के लिए कुछ MLA सामने आएं और उन्हें ह्यूमन शील्ड से ढक लिया। तभी करुणानिधि के नज़दीकी दुरई मुरुगन गुस्से में जयललिता पर हमला बोलने आएं और इसी प्रकरण में जयललिता की साड़ी का पल्लू उनके हाथ में आ गया जिसे पकड़ के शायद उन्होंने खीचा। सबकुछ बहुत तेज़ी से हो रहा था, ये प्रहार और साड़ी का खीचा जाना जयललिता के लिए अपमानजनक था, वो किसी तरह बाहर आईं और मीडिया के सामने प्रतिज्ञा ली कि अब वो करुणानिधि को हराकर ही वापस आएंगी।

इस प्रकरण के बाद जयललिता का हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था, राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, मिलने आएं, गठबंधन की बात हुई, और 1989 लोकसभा चुनाव में AIDMK-CONGRESS गठबंधन ने 39 में से 38 सीट जीते। 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में राजीव गांधी की बम धमाके में हत्या कर दी गई। 1991 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव हुए और AIADMK ने अप्रत्याशित जीत हासिल की।

जयललिता मुख्यमंत्री बनी और इस तरह पूरी हुई जयललिता की प्रतिज्ञा।

 

 

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