करीब 70 फ़ीसदी ग्रामीण आबादी वाले हमारे देश के गाँव-देहातों में, स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है। खासतौर पर जब बात प्रसव और महिला स्वास्थ्य जैसे मुद्दों की हो तो स्थिति और चिंताजनक हो जाती है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में रोज़ 800 महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हो जाती है, इनमे से 20% मृत्यु केवल भारत में ही होती हैं। इसी रिपोर्ट के अनुसार हर साल भारत में गर्भावस्था के दौरान करीब 55000 महिलाओं की मौत हो जाती है। इस तरह के कई आंकड़े हैं, जो भारत में महिला स्वास्थ्य की भयावह तस्वीर खींचते हैं। दोयम दर्जे की सुविधाएँ, स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टरों की किल्लत, गाँव-देहातों में खस्ताहाल सड़कों से होकर स्वास्थ्यकेन्द्र तक पहुँचने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो जाती हैं। इसी तरह की एक घटना में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के ओरन गाँव में, प्रसव के दौरान सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में, जच्चा और बच्चा दोनों की ही मौत हो गयी। देखिये खबर लहरिया की यह वीडियो रिपोर्ट।