हमारे अंदर कोई दोष निश्चित समय में, निश्चित मात्राओं में दिया जाने लगे तो कुछ वक्त बाद वो गुण नज़र आने लगता है और कम से कम उसमें कोई बुराई तो नज़र नहीं ही आती। और इस पूरे मानव सभ्यता को लिंग भेद यानी जेंडर इनइक्वॉलिटी का ऐसा ही दोष सदियों तक घोल घोल कर पिलाया गया है। किसी असामनता के पूरे प्रॉसेस को शायद सबसे अच्छे से तब समझा जा सकता है जब उसकी बीज पड़ रही हो। क्या बचपन में कभी ये सवाल आपके मन से होकर गुज़रा था कि सारे काम दीदी या घर कि लड़की ही क्यों करे? कोई लड़का क्यों नहीं? अगर नहीं तो इसका सीधा जवाब यही है कि ये असमानताएं बड़ी सहजता से हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गई है। ये वीडियो देखिए, वीडियो वॉलेन्टियर्स ने बनाया है। 11 साल की खुशबू और उसके छोटे भाई पर ये बनाया गया है, और इस उम्र से ही जेंडर आधारित असमानता इनकी दिनचर्या बन चुकी है।
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