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खामोश जान खतरे में है।

आम के खास होते ही जान पर आ बनती है। आम जब तक बाग में रहता है, कोई खतरा नहीं होता, जैसे ही बाग से बाहर निकलता है, यानी बाजार में आता है, उसकी जान को खतरा हो जाता है। अब सवाल यह है कि आपकी जान को खतरा है या आपकी उस जान को खतरा है, जिसके  लिए आप जान हथेली पर लिए घूमते हैं। मुझे आप भले ही कुछ भी कह देना, लेकिन मेरी जान को कुछ मत कहना। मेरी जान के बारे में एक शब्‍द भी नहीं सुनूंगा। जैसे तैसे तो जान मिली है, उसे भी तुम जैसे लोग नाहक परेशान करें। जान के लिए तो लोग मां का दिल तक मांग ले जाते हैं। चाहे कुछ भी हो जान की कीमत तो जान को चाहने वाले ही जान सकते हैं।

आम आदमी जब खास हो जाता है, तो उसके बोल भी खास हो जाते हैं। उसकी हर छोटी बात को उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता है। जब टी वी, मोबाइल कैमरा और रेडियो टेपरिकॉर्डर आता तो वह अपना आपा खो बैठता है  और जब बहुत दिनों तक उनकी कोई खबर नहीं लेता तो उन्‍हें तिलमिलाहट होती है। इतने दिन हो गए, किसी अखबार, टी वी ने हमारा फोटो नहीं दिखाया बस।

इसी भावना के आते ही उनके बोल साहित्‍य से जुड़ जाते, वे कवि हो जाते हैं और जब इनसे बात नहीं बनती तो नारी प्रकृति वर्णन में जुट जाते हैं और परिणाम यह होता है, दूसरे दिन ही उनका फोटो, उनका बयान यहां तक उनकी आलीशान कोठी को भी कवर किया जाता है।

खास आदमी को दो चीज की जरूरत होती है। एक जेड सिक्‍योरिटी की और दूसरे मंच की। दोनों चीजों के लिए जान को खतरा होना चाहिए। अक्‍सर चुनाव के समय खास आदमियों की जान को खतरा बढ़ जाता है। जिस प्रांत में चुनाव होते हैं, उस प्रांत में जाने से पहले यह खतरा और बढ़ जाता है। सभी यूपी और बिहार जाने के पहले यह जरूरत कहते हैं, उनकी जान को खतरा है।

लोग समझने लगे हैं कि नेताजी की कौन सी जान को खतरा  है। लोग उनकी जान ढूंढने लगते हैं। उनकी कौन सी जान को खतरा है।  असली जान को खतरा  है तो सिक्‍युरिटी क्‍या कर रही है, दूसरी जान को खतरा है तो पहले उसे ढूंढों और उसकी सिक्‍योरिटी बढ़ाओ। अब ये दीगर बात है कि किसकी कितनी जान हैं और किस-किस शहर में रहती हैं। नेताजी की जान कोई पिंजरे में तो बंद नहीं, अगर रखी है तो पहले पिंजरे की सिक्‍योरिटी बढ़ाई जाए।

झम्‍मन की जान को भी खतरा बढ़ गया है। अब झम्‍मन अकेले नहीं निकलते। झम्‍मन की दो जान आपस में लड़ बैठी हैं। दोनों चुनाव लड़ रही है। दोनों ने अलग-अलग पार्टी से टिकट खरीदा है। अब झम्‍मन जैड सिक्‍योरिटी मांगने नहीं जा रहे हैं। वे विदेश दौरे के लिए वीजा और पासपोर्ट की तैयारी में जुटे हैं।

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