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झारखंड में पूरे गाँव पर एफआईआर दर्ज

आदिवासियों के सबसे बड़े मसीहा जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर झारखंड सरकार ने आदिवासियों के एक पूरे गाँव पर एफआईआर दर्ज कराके अनोखा तोहफा दिया है। रविवार को खरसांवा में मुख्यमंत्री रघुवर दास का विरोध करने वाले लोगों की पहचान करने में जुटे [envoke_twitter_link]प्रशासन ने करीब पांच सौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है।[/envoke_twitter_link]

ऐसा माना जा रहा है कि अब झारखंड की भाजपा सरकार अब फिर से आदिवासियों के दमन पर उतारू होने वाली है। पहले भी कई प्रदर्शकारियों पर गोली चलाई गई थी और कई लोग मारे गए थे।

पुलिस अब वीडियो फुटेज और तस्वीरों के आधार पर अब प्रदर्शनकारियों की पहचान कर रही है। सीएनटी और एसपीटी कानून में संशोधन का विरोध करने वालों पर पुलिस फायरिंग का विरोध कर रहे लोगों ने रघुवर दास पर आदिवासियों-किसानों का दमन का आरोप लगाया है। कई आंदोलनकारी पुलिस फायरिंग में मारे गए थे और रविवार को रघुवर दास उन्हीं मारे गए आदिवासियों-किसानों को श्रद्धांजलि देने गए थे, लेकिन वहाँ पर जनता ने उनका भारी विरोध किया। पहले गेट ही जाम किया गया और नारेबाजी की गई और जब श्रद्धाजंलि देने के बाद मुख्यमंत्री लौटने लगे तो उन पर कई लोगों ने जूते-चप्पलें फेंकी थी।

इस घटना से मुख्यमंत्री रघुवर दास बहुत नाराज हैं और वो चाहते हैं कि उनका विरोध करने वालों को कड़ा सबक सिखाया जाए। प्रदर्शनकारियों की पहचान के लिए उन्होंने जांच दल भेजा जिसमें मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, गृह सचिव एसकेजी राहाटे, पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय, एडीजीपी (विशेष शाखा) अनुराग गुप्ता शामिल थे। जाँच दल रविवार को हुए कार्यक्रम के सभी स्थलों पर गया।

डीजीपी डीके पांडेय ने बताया कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में गड़बड़ी करने वालों की पहचान की जा रही है और उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।  पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार ने कहा कि खरसावां में मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यक्रम के दौरान हुए विरोध के मामले में लगभग पांच सौ अज्ञात के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया है।

मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने भी कहा कि रविवार को खरसावां में [envoke_twitter_link]शहीद दिवस के दौरान मुख्यमंत्री रघुवर दास को विरोध का सामना करना पड़ा था। [/envoke_twitter_link]विरोध प्रदर्शन मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। मामले की जाँच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

 मुख्यमंत्री के आक्रामक रवैये से [envoke_twitter_link]झारखंड में भाजपा के आदिवासी विधायकों-सांसदों और नेताओं की मुसीबत भी बढ़ गई है।[/envoke_twitter_link] एक तो सीेएनटी-एसपीटी कानून संशोधन के कारण उनका अपना समुदाय उनसे बहुत नाराज थे और अब दमन की कार्रवाई से उनके प्रति गुस्सा और बढ़ने वाला है।
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