कल शाम ऑफिस में काम करने के दौरान अचानक मेरे एक कलीग के मोबाइल पर फ़ोन आया कि गंगा पार दियारा से आ रही नाव पलट गयी है, कुछ लोगों की हालत नाज़ुक है। उस वक़्त मैं फोटोज़ सलेक्ट कर रहा था, वो फोटो जो मकर संक्रांति के मौके पर बिहार सरकार की ओर से आयोजित पतंग उत्सव में भाग लेने गए लोगों के दिन भर के एन्जॉयमेंट की थी। फोटो देख कर मन में थोड़ी उदासी भी थी कि हर बार की तरह इस बार भी मैं किसी कारणवश वहां नहीं जा सका।
[envoke_twitter_link]अभिषेक सहित 25 लोगों की मौत की ज़िम्मेदार सीधे-सीधे सरकार ही है।[/envoke_twitter_link] इतने वृहत रूप में आयोजन किया गया, लोगों को एन्जॉय करने के लिए बुलाया गया, तो इन लोगों को घर तक सही सलामत पहुंचाना भी आपकी ही ज़िम्मेदारी है। कुछ दिन पहले ही आयोजित हुए प्रकाश पर्व में लाखों लोग आये थे, जिनकी खातिरदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी थी। शायद उस पर्व में बिहार सरकार की धूम देश विदेश में फैलनी थी, एक धर्म विशेष के लोगों के बीच सरकार की बेहतरीन छवि बनानी थी। और ऐसा हुआ भी, नीतीश बाबू की धूम मच गयी। पर ये रहा अपने घर का पर्व, यहां कुछ कमी भी हो जाये तो कोई बोलने वाला नहीं। अफ़सोस तब होता है, जब पटना में फेस्टिवल के दौरान लगातार हादसे होते रहे हैं। छठ पूजा हो या दशहरा, दर्जनों लोगों की जानें जा चुकी हैं, पर सरकार को भूत याद नहीं रहता, वो सिर्फ वर्तमान देखती है, अपना भविष्य देखती है।
काश सरकार, आम लोगों का भविष्य भी समझ पाती, अभिषेक जैसे बेगुनाहों की मौतों पर आँसू बहाने के बजाय कुछ इंतज़ाम कर पाती। [envoke_twitter_link]आप कुछ करें न करें, कभी ऐसे वृहत आयोजन न कराएं[/envoke_twitter_link]…