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बीजेपी के यूपी सीएम के तौर पर कितने फिट हैं श्रीकांत शर्मा?

असम चुनाव के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सर्वानंद सोनवाल को पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त माना था। इससे पहले महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और हरियाणा में मोहनलाल खट्टर भी पार्टी के ज़्यादातर लोगों के लिए अप्रत्याशित नाम थे। इन सभी मे कुछ खास बात थी, अमित शाह का करीबी होना, संघ का विश्वासपात्र होना और निर्विवाद होना।

उत्तर प्रदेश चुनाव में जिस प्रकार राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ को किनारे किया गया है उससे साफ है कि ये दोनों राष्ट्रीय नेता उत्तर प्रदेश के लिए बनाये शाह-मोदी प्लान में फिट नही बैठ रहे है। राजनाथ सिंह और योगी के खास उम्मीदवारों को टिकट भी नही दिया गया है, स्वयं राजनाथ के बेटे पंकज भी अपनी सीट के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अब राजनाथ सिंह ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। चर्चा तेज़ है की पंकज सिंह का स्टिंग स्वयं प्रधानमंत्री मोदी के सामने आया था और इसीलिए वो पंकज को किनारे करना चाह रहे है। ऐसे में यदि पंकज टिकट ले भी आते है तो भी वो किसी बड़े पद पर नही भेजे जायेंगे।

ऐसे में जो नाम सबके सामने आ रहा है वो है श्रीकांत शर्मा कुछ बातें जो शर्मा के पक्ष में है वो हैं उनका युवा होना, ब्राह्मण होना, टीवी पर पार्टी का लोकप्रिय और वाकपटु चेहरा, संघ के विश्वासपात्र और पुराने स्वयंसेवक, अमित शाह के बेहद करीबी, 24 साल से पार्टी में सक्रिय।

श्रीकांत शर्मा इस समय पार्टी के लिए सबसे विश्वसनीय चेहरा हैं। आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े रहे शर्मा का पार्टी में कद तब बढ़ा जब अमित शाह को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। वो अरुण जेटली के भी करीबी माने जाते हैं। फिलहाल वह जनरल सेक्रेटरी होने के अलावा पार्टी प्रवक्ता का भी किरदार निभा रहे हैं। श्रीकांत ने शुरुआती पढ़ाई मथुरा से की और इसके बाद वह दिल्ली आ गए, यहां वह एबीपीवी से जुड़े।

सोमवार शाम टिकट घोषणा के समय सिर्फ श्रीकांत शर्मा के नाम पर ही जेपी नड्डा ने अतिरिक्त समय लगाया, उन्हें सबका प्रिय करार दिया और कहा कि शर्मा मथुरा से चुनाव लड़ेंगे। वो इस समय पार्टी के सबसे मजबूत प्रत्याशी के रूप में देखे जा रहे हैं। उनको सामने लाने से संगीत सोम और सुरेश राणा जैसे दागियों को टिकट देने का फैसला भी सही साबित हो जायेगा और इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को कमज़ोर आंकने वालों को भी मजबूत प्रत्याशी से जवाब मिलेगा।

यहां यह बात बताना आवश्यक है कि भविष्य में प्रदेश का बंटवारा होने की स्थिति में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक मजबूत चेहरे को आगे करने का दांव खेला है। राष्ट्रिय लोकदल पार्टी, हरित प्रदेश का मुद्दा उठाती रही है और मथुरा के पूर्व सांसद जयंत चौधरी सपा के साथ होने वाले गठबंधन के बाद यह मांग फिर से उठाएंगे।

उत्तर प्रदेश में होने जा रहे महागठबंधन के बाद बीजेपी कितनी सीटों पर विजय पताका फहरा पायेगी यह तो उत्तर प्रदेश की जनता ही बताएगी। लेकिन इतना तो तय है की श्रीकांत शर्मा को मथुरा से टिकट देकर बीजेपी ने बहुत से निशाने साध लिए हैं। बीजेपी राज्य बंटवारे की पक्षधर रही है। ऐसे में बुंदेलखंड, पूर्वांचल व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रूप में नए राज्य गठित होने की स्थिति में पार्टी के पास श्रीकांत शर्मा के रूप में एक मजबूत नेता होगा।

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