पड़ोस से आते सूजी के हलवे की खुशबू से झम्मन मदमस्त होकर झम्मनिया से बोले, पड़ोस में सूजी का हलवा बन रहा है और तुम क्या बनाने जा रही हो? बहुत दिनों से हलवा नहीं खाया। झम्मनियां बोली-आज का रेडियो नहीं सुना क्या? अब भी हलवा बनाने की कसर रह गई है। अब मेरी सुनो आज खयाली पुलाव बनाओ और खाओ।
खयाली पुलाव सबसे स्वादिष्ट होता है। आप किसी भी मिष्ठान का, किसी भी पेय का आनंद ले सकते हैं। हींग लगे न फिटकरी, फिर भी रंग चोखा। [envoke_twitter_link]चुनाव घोषणा पत्र और खयाली पुलाव में काफी समानताएं होती हैं। [/envoke_twitter_link]दोनों खयालों में ही अच्छे लगते हैं। चुनाव के आते ही घोषणाएं खयाली पुलाव की तरह होती है, मन मंदिर में दर्शन होते हैं और हाथों में कुछ नहीं होता।
झम्मन को भी पांच राज्यों में से एक चुनाव क्षेत्र में [envoke_twitter_link]खयाली पुलाव बनाने का प्रस्ताव आया यानी पार्टी का टिकट मिल गया।[/envoke_twitter_link] पूरा मोहल्ला ही नहीं, पूरी तहसील ठंड में गर्मी के अहसास से गरम हो उठी। लोग आने लगे, बैरया के छत्ते में हाथ डालने के बाद जो हुजूम आता है, उसी तरह। ऐसा लगा जैसे, झम्मन ने बरैया के छत्ते में हाथ डाल दिया हो। झम्मन राजनीति में उसी तरह समाये हुए थे जैसे करेले में कड़वाहट, ऑफिस में भ्रष्टाचार, रात में उल्लू, पूर्णिमा में चांदनी, गुड़ के बाजार में मक्खियां, दही में खटास और रबड़ी में मिठास।
झम्मन ने समय की नज़ाकत को समझा, अपने सबसे करीबी पीए को बुलाया और भाषण तैयार करावाया। खयाली पुलाव तैयार होने के बाद घर से बाहर खुली जीप में सवार हुए और निकल पड़े जनता को खयाली पुलाव खिलाने। बीच बाजार में गाड़ी खड़ी करके बोलना शुरू किया- हमारी तहसील समस्याओं से भरी पड़ी है और इन समस्याओं का हमारे जीवन में होना बहुत ज़रूरी है। सोचो [envoke_twitter_link]अगर समस्यायें ही नहीं रहेंगी तो हमारी आने वाली पीढ़ी कैसे जानेगी समस्या क्या है।[/envoke_twitter_link]
देखो सामने वाली सड़क में सैकड़ों गडढे हैं। हम इसे अगर ठीक करवा दें तो -फायदे कम नुकसान ज्यादा होंगे। हमारी पीढ़ी नहीं जान पाएंगी गडढे कैसे होते हैं। उनसे आने जाने वाली गाड़ियों को क्या-क्या नुकसान होता है, लोग किस तरह गिरते हैं, फिर उनको कैसे उठाया जाता है। अगर गडढे नहीं होंगे तो हम किसे उठायेंगे। मैं इस सड़क को ऐसा ही रहने दूंगा, जिससे नई पीढ़ी को सीखने और गिरतों को उठाने का पूरा-पूरा मौका मिले।
गाड़ियां या अन्य वाहन जब खराब होंगे, टूटेंगे तो उससे रोज़गार का सृजन होगा। इसमें ड्राइवरों जो चलाने लायक नहीं बचेंगे, उनकी जगह नये ड्राइवरों को मौका मिलेगा, मोटर मैकेनिकों को रोज़गार मिलेगा। यात्रियों का पेट ठीक रहेगा। जब हिलेंगे, डुलेंगे तो उनका पाचनतंत्र ठीक से काम करेगा। डॉक्टरों को भी रोजगार मिलेगा। घायलों के इलाज के माध्यम से।
यह सड़क ऐसे ही टूटी रहेगी तो लोगों का भगवान में विश्वास बना रहेगा। हर कोई इस सड़क पर आने के पहले भगवान को याद करेगा। हे भगवान इस सड़क से पार करा दे एक नारीयल चढ़ाउंगा, यानी बनियों को लाभ होगा। नारियल बिकेंगे तो केरल और अन्य तटीय राज्यों के लाखों लोगों को रोज़गार मिलेगा। नारियल भगवान के लिए आएंगे। बाहर बैठे भिखारियों को पौष्टिक आहार के रूप में नारियल के टुकड़े खाने को मिलेंगे। इससे उनके घुटने का दर्द कम होगा।
सड़क अगर हम सुधरवा देते हैं, तो कागजों पर निर्माण विभाग के तमाम कर्मियों को नुकसान होगा। अगर सड़क ऐसी रहती है तो वे बिना निर्माण किए घोटाला कर सकेंगे। उनके बच्चें पार्कों में पिकनिक मना सकेंगे। पर्यटन को भी इस सड़क के माध्यम से बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन बढ़ेगा तो शहर का विकास होगा, शहर का विकास होगा तो देश का विकास होगा, देश का विकास होगा, नागरिकों का विकास होगा, नागरिकों का विकास होगा, देश समृद्ध होगा और एक दिन विकासशील देशों की श्रेणी में आ जाएगा। हम विश्व शक्ति बन जाएंगे। खयाली पुलाव अच्छा है, इसको तैयार करने में इस सड़क का विशेष योगदान है। इसलिए इस सड़का नाम किसी ऐसे नेता के नाम पर रखा जाए जो निकम्मा हो। निकम्मा ही बता सकता है, काम नहीं करने के एक हजार फायदे।
चुनाव घोषणा पत्र तैयार है। सड़क का उल्लेख नहीं है। सड़क पिछले 70 सालों से ज्यों कि त्यों खराब है। सभी को रोजगार मिल रहा है, सभी ईश्वर पर आस्थावान है। हर बार चुनाव में झम्मन यही कह कर जाते हैं और जीत कर लौट आते हैं। इस बार भी झम्मन खयाली पुलाव के लिए तैयार हैं।