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पंजाब में क्यों खास है लंबी और जलालाबाद विधानसभा सीटें?

पंजाब, भारत के उत्तर में है। लोकसभा में 13 सांसद हैं। उम्मीद है धीरे-धीरे 2017 विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय मीडिया में इसबार गंभीरता से लिया जाएगा। स्कोप तो है कम से कम कि यहां की राजनीति पर भी राजनीतिक पंडित अपनी टिप्पणी करें।

फ्लैशबैक

2009 लोकसभा चुनाव। कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बेटे को भटिंडा से मैदान में खड़ा किया। मुकाबला था अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल से। नतीजे आएं  हरसिमरत कौर विजयी हुई। ये याद रखिएगा कैप्टन अमरिंदर सिंह का पुश्तैनी  इलाका पटियाला है। खैर भटिंडा से हरसिमरत कौर तो जीत गईं लेकिन बाकी पंजाब में बादलों की हार हुई थी। अकाली दल और BJP गठबंधन पूरे पंजाब में बस 5 सीट पर सिमट गई। कांग्रेस 8 सीट पर आई।

कहा जाने लगा कि बादल परिवार ने अपना पूरा ध्यान भटिंडा सीट जीतने पर लगा दिया। 2014 लोकसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमृतसर की सीट से अरुण जेटली को भारी वोट से हराया। लेकिन इस बार AAP को पंजाब में फायदा हुआ और पार्टी ने 4 सीटों से अपनी राजनीतिक विजय की शुरुआत की।

2017 पंजाब चुनाव

चुनाव फिर से सामने है। इसबार विधानसभा। लेकिन तर्ज कमोबेश वही है। इसबार अमरिंदर सिंह ने लंबी विधानसभा सीट से  प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। बात सत्ता में बल प्रदर्शन की है। और इसकी आंच से जलालाबाद सीट भी अछूता नहीं रह गया है। कांग्रेस ने इस सीट से लोकसभा सांसद  रवनीत सिंह बिटू के नाम की घोषणा की है। और सामने होंगे अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल।

मज़ेदार AAP का दांव भी है। इन दोनों सीट से आम आदमी पार्टी ने अपने सबसे लोकप्रिय नेता को उतारा है। लंबी चुनावी सीट से जरनैल सिंह AAP के लिए दंभ भरेंगे। ये वही जरनैल सिंह हैं जो पी.चिदंबरम पर जूता फेकने के बाद चर्चा में आएं थे। जलालाबाद से पार्टी ने एक पॉप्यूलर फेस भगवंत मान को टिकट दिया है।

हम भी हैं जोश में

जब जंग लव ट्रायएंगल और पॉलिटिकल ट्रायएंगल की हो तो गवाह भी कहानियां याद रखते हैं। और इन दोनों सीटों पर हालात ऐसे ही नज़र आ रहे हैं। हालांकि अकाली दल(मान)/अकाली दल(अमृतसर) भी इन दोनों सीट पर अपनी पहचान दर्ज करवाना चाहता है। शिरोमणि अकाली दल (मान) के सर्वोच्च नेता सिमरजीत सिंह मान। 1984 में ब्लू स्टार ऑपरेशन के विरोध में डीएसपी की नौकरी से इस्तीफा दिया,राजनीति में कदम रखा और पॉप्यूलर चेहरा बन गएं। 1984 से 1989 तक जेल में रहे।

1989 में लोकसभा सीट तरन तारन से और 1999 में लोकसभा सीट संगरूर से सांसद के रूप में चुने गये। लेकिन किरपाण पहनने के कारण इन्हें लोकसभा के भीतर जाने से रोका गया और इसके बाद सिमरजीत ने लोकसभा ना जाने की प्रतीज्ञा की। लंबी और जलालाबाद, दोनों सीटों पर सिख आबादी 90% तक है। ज़ाहिर है यहां से मान दल का उम्मीदवार भी चुनावी गणित में अपने फॉर्मूले ज़रूर लगाएगा।

हालिया घटनाएं

इन दोनों सीटों पर इन दिनों लगातार सुर्खियां बटोरने वाली घटनाएं हो रहीं हैं। कुछ दिन पहले सुखबीर सिंह की गाड़ी पर पथराव। लंबी के ही एक चुनावी सभा मे प्रकाश सिंह बादल पर जूते फेकने का मामला सामने आया। इस शख़्स का नाम गुरबचन सिंह है। अब चर्चा ये है, कि शिरोमणि अकाली दल (मान) गुरबचन सिंह को लंबी से अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है।

आज पूरे पंजाब में इन दोनों सीट की चर्चा है। हो सकता है, यहां से बादल जीत जाएं लेकिन इसकी कीमत बाकी की जगह हार कर चुकानी पड़ सकती है। और अगर बादल यहाँ से हार गएं, तो यकीनन शिरोमणि अकाली दल बादल राजनीतिक रूप से धाराशाही हो सकता है। यहाँ चुनावी लड़ाई मुश्किल नज़र आ रही है। लेकिन पंजाब की जनता किस नतीजे की घोषणा करती है इसके लिये इंतज़ार ही कर सकते हैं।

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