उत्तर प्रदेश और खंडित खंड प्रदेश में सभी खुश हैं। जो वोट डालने के लिए मूड बना रहे और जो चुनाव में खड़े हैं वो भी। वोट डालने वाले इसलिए खुश हैं, उनकी पार्टी आएगी और उनके रुके काम होंगे। और जो चुनाव में खड़े हैं वो इसलिए खुश हैं कि कम से कम इस बार टिकट तो मिला। जीत गए तो बल्ले-बल्ले नहीं तो पार्टी नेताओं की लिस्ट जो बनेगी उसमें तो नाम आ ही जाएगा। ये ज़रूरी थोड़े ही जो आम से खास बनेगा उसी का फायदा होगा। अरे भाई फायदा तो उसका भी होता है जो साथ में खड़े होकर नारे लगा रहा है-जोर लगा के हैया।
नेता इसलिए खुश हैं, कि वोट तो बाद में पड़ेंगे लेकिन ये जो भीड़ दिखाई दे रही शायद उसमें कोई ऐसा कनवर्टर फैक्टर निकल आए जो भीड़ को वोट में बदल दे। खुशी इसलिए भी है कि हमने जो कहा है वह कभी किया नहीं और इस बार भी नहीं करेंगे।
इस बार हमने आश्वासन का बोझ और बढ़ा दिया, जिसके नीचे दबकर मतदाता हमारी तरफ मदद का हाथ बढ़ा सके। अगर जनता को लगता है कि पानी में कीचड़ हो गया और सड़ांध आने लगी है तो उसके लिए खुशबू चाहिए तो कमल पैदा करने की कोशिश की जाए। रास्ते जहां खराब हो गए हैं, वहां गाड़ी तो चल नहीं सकती लिए जरूरी है हाथी की सवारी की जाए। हर कोई तो इतना धनी नहीं है कि हाथी पाल सके इसलिए हो सकता है कि कच्ची पगडंडी पर साइकल पर ही चल निकले।
खैर कुल मिलाकर गरीब आदमी खुश है। पिछले पन्द्रह दिनों से एक से एक दिग्गज उसको सलाम कर रहे हैं, उसको घीसा समझ रहे हैं, लोकतंत्र की बारात में कम से कम एक दो दिन तक भरपेट भोजन मिल ही जाएगा। वह सपने देखने में मगन है। सड़के सुधर जाएंगी, बेटी स्कूल जाएगी, नलकों में साफ पानी आएगा, सरकारी बाबू बिना पैसे लिए राशनकार्ड बना देगा, राशन की लाईन छोटी होगी। पूरा सामान मिलेगा। और तो और उसे रात को बल्ब की रोशनी में बाजरे की रोटी सफेद दिखाई देगी।
किसान खुश है, उसके कर्जे माफ हो जाएंगे, गोबर की शादी के लिए फिर से बैंक से लोन ले लेगा। युवक खुश हैं सबको रोज़गार मिल जाएगा। लड़कियां खुश हैं अब इस शासन में पटेल का लड़का नहीं छेड़ेगा। मजदूर खुश है उसके खाते में सीधे पैसे जाएंगे। उसे शहर भागना नहीं पड़ेगा। सेठ भी सही दाम देगा। ठीक उसी तरह देगा जब नोटबंदी हुई थी-50 हजार खाते में डाले थे और 51 हजार वापस ले लिए थे।
कुछ भी हो, कल तक सभी खुश हैं। गुण्डों, मवालियों, छात्रों, बेरोज़गारों सबको काम, दाम, नाम, और भोजन मिल रहा है। प्रचार के बाद चखना और गुप्ता जी के गददों पर मीठी नींद का आनंद सब कुछ मिल रहा है। 11 मार्च के बाद 400 के आसपास के लोग मखमल के गददों पर होंगे और बाकी को टाट नसीब होगा या नहीं यह तो आने वाले पांच साल बतायेंगे।