समाज में महिला और पुरुष के अलावा एक ऐसा समुदाय भी है जो हमेशा हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा रहा है। हमसे अलग सा रहने वाला ये समुदाय हमेशा हमारे दिमाग में कही सवाल पैदा करता है। ये समुदाय किन्नरों के नाम से जाना जाता हैं। लेकिन किन्नरों की ये अलग सी दुनिया अपने हक के लिए अब समाज से लड़ती और समाज में मिलती नज़र आ रही है।
मुम्बई महानगरपालिका के इतिहास में पहली बार ये होगा। मुम्बई महानगरपालिका चुनाव में कहीं महिला और पुरुष उम्मीदवार कमर कस के मैदान में उतरे हैं वहीं इन्हें टक्कर देने एक किन्नर भी उम्मीदवार बनी। जी हाँ पहली बार कोई किन्नर उम्मीदवार प्रिया पाटील मुम्बई महानगरपालिका से चुना लड़ेंगी।
मुम्बई के कुर्ला वेस्ट वार्ड 166 से प्रिया पाटील किन्नरों के हक को मुद्दा बनाकर चुनाव में उतरी हैं। प्रिया शिवसेना की प्रत्याशी मनाली तुलस्कर के खिलाफ खड़ी हैं। इनके प्रचार का तरीका भी नायाब है। ये इलाके में हर घर के दरवाज़े पर जाकर अपने लिए वोट मांग रही हैं। और साथ में किन्नर समुदाय के और लोग भी नारा लगाते कैंपेन करते हैं कि ” प्रिया पाटील आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं।” एक और भी स्लोगन ये लोग लगातार लगाते हैं- ”एक चाय दो खारी, प्रिया पाटील सबपे भारी।”
प्रिया पाटील का चुनावी चिन्ह मोमबत्ती है। प्रिया का कहना है कि ” हमारे समाज में किन्नरों के प्रति जो गलतफहमियां हैं उन्हें दूर करना और किन्नर समाज की परेशानियों और सवालों को सरकार के सामने रखना ही मेरा उद्देश्य है चुनाव लड़ने के पीछे।”
अनुमान के मुताबिक भारत में लगभग 20 लाख से ज्यादा किन्नर हैं। किन्नरों को हमारे समाज में कुछ अलग नज़र से देखा जाता है। और इसकी वजह से ये समुदाय काफी चीज़ों से वंचित रहता है। लोगों में इनके प्रति कई सवाल हैं जिनके जवाब अक्सर नहीं मिल पाते। लेकिन प्रिया पाटील जैसे किन्नर, समाज में उनके प्रति बदलाव लाने की कोशिश में उतर गए हैं। जहां वो समाज में अपना अस्तित्व पाने की राह पर चल पड़े हैं। और सच में प्रिया पाटील जैसे इंसान वाकई मे मिसाल कायम कर रहे हैं।