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बच्चों के साथ खुशियां भी बांटे, बस अकेलेपन की शिकायत ना करें

पिछले दिनों अपनी एक लेक्चरर से मिलने का सुअवसर मिला। वे अपने पति के साथ अकेले रहती हैं। बच्चे वेल सेटल्ड हैं बाहर हैं। उनसे बज़ुर्गों के अकेलेपन और नई पीढ़ी के साथ उनके रिश्ते और शिकायतों को लेकर कुछ बातें हुई। पेश हैं उसके कुछ अंश।

मैंने उनसे पूछा , “मैम आपको अकेलापन नहीं लगता कभी?” उन्होंने कहा, “जब मैं पहले बैंक जाती थी तो वहां कुछ बुज़ुर्ग महिलाएं मिलती थी। वे हमेशा शिकायत करती थीं ‘ हाय की करिए बच्चे बाहर हैं कोई मिलने नहीं आता।’ मैं कहती , अभी तो आये हुए थे आपके बच्चे  तो वे कहतीं,“क्या है, आये थे बस तीन हफ्ते रह कर चले गए।” वे मुझसे यह भी कहतीं “तेरा दिल बड़ा सख्त है “ तो मैं जवाब में उनसे कहती ,”यह तो मैं जानती हूं। यह कोई एक माँ के दिल से पूछे।”

उनका कहना था हर समय शिकायत करना गलत है। अरे भई हंस कर कहो बच्चे आये थे, अच्छा लगा ,जब टाइम मिलता है आ जाते हैं। अब बच्चों का टाइम है ,उनकी अपनी जॉब है। अपनी जिम्मेदारियां हैं। उन्हें भी अपने बच्चे पालने है। जब हमारे काम करने का टाइम था हम अपना काम करते थे। अब उनका टाइम है। आप हर समय हाय हाय न करें। ऐसा करके आप खुद को ही दुखी करेंगे। आप अपने को दुखी करने वाली बातें क्यों करें। जब मैं बहू थी और मेरी सास मुझसे शिकायत करती थी तो मैं उनसे कहती थी “आप ने एक बच्चा तो नालायक रखना था जो आपके पास रहता क्योंकि पास वो तभी रहता न जब वो नालायक होता। वैसे भी ये शिकायत इसलिए भी गलत है क्योंकि आपने अपने बच्चे इस ढंग से पाले कि they are worthy of being out ,they are making of their own life. You should feel happy about it.”

“I m wrong side of 80 and he is early side of 90 इस एज में हम पति पत्नी एक दूसरे के लिए कितनी प्रॉब्लम क्रिएट करते हैं यह हम ही जानते हैं। लेकिन हम में एक दूसरे के लिए पेशेंस है। हम एक दूसरे को समझते हैं। We can adjust with each other लेकिन आज की भागदौड़ भरी लाइफ में बच्चों से यह उम्मीद करना वाजिब नहीं है। हम एक ही चीज़ को बार-बार पूछते है ऐसी स्थिति में यंगर पर्सन सोचेगा ये एक ही बात को बार-बार क्यों पूछ रहे हैं क्योंकि वह नहीं जानते कि हम बातें भूल जाते हैं और वह एक ही बात का जवाब देते-देते फेड अप हो जाएगा। वैसे भी Caring a sick or elderly person is quite a tough and professional job.

“अगर बच्चे आप के साथ नहीं रहते हैं तो सारा समय शिकायत न करें” वो सारा दिन बाहर रहती है, उसे हमारी परवाह नहीं है। बच्चे हमारी केयर नहीं करते “ऐसा सोचना एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है।” अगर हम अपने वक्त और आज के वक्त को देखें तो आज की लाइफ बहुत टफ है तब हर काम की स्पीड बहुत कम थी, प्रेशर नहीं था जबकि आज के बच्चे बहुत प्रेशर में काम करते हैं। You should be thankful कि बच्चे आपके लिए जो भी कर पा रहे हैं वह करना भी उनके लिए बहुत मुश्किल है। हर तीसरे दिन उन्हें छुट्टी नहीं मिल सकती। You have to understand उनकी लाइफ बहुत टफ है। वैसे भी older and wiser is not necessary.”

“आप social networking sites par ग्रुप बना दो। ग्रुप पर अपनों से बात करना ऐसे लगता है जैसे सुबह शाम गप्पे लगाना। कल मेरी बेटी का मैसेज आया “राजमा और चिकेन बना रही हूं, कौन कौन आ रहा है?” मैंने हंस कर रिप्लाई किया “बेटा आने की तो मर्ज़ी तो है पर आ नहीं सकती” आप उन चीज़ों पर खुश हो सकते हैं, हंस सकते है जो आपको खुशी देती हैं। You can laugh at things which makes you happier. अपने आप को दुखी करने के लिए शिकायत वाला attitude नहीं होना चाहिए। बच्चे जितना आते हैं, जितना समय आपके साथ रहते हैं उसमें खुश रहें। शिकायत न करें complaints makes you unhappy.”

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