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मर मतदाता

पंजाब और गोवा के मतदाता पूड़ी-सब्‍जी खाकर, पउआ लगाकर गहरी नींद में पांच साल के लिए सो गए। उनका विकास और नशा काफूर हो गया। अब उन्‍हें कोई नहीं आएगा जगाने पांच साल तक कि नशा मत करो। गोवा वालों को जितनी पीनी थी पी चुके। अब मतगणना के दिन नई बोदका की बोतल कुछ घरों में और उनके बाहर खुलेंगी, बाकी सब ठर्रे के लिए तरसेंगे।
मतदान के बाद की शांति उसी तरह होती है, जैसे बेटी की बिदा के बाद, केवल उसका बाप टैंट तम्‍बू उठाता फिरता है, पानी की खाली बोतलों को ढूंढता है, टेंट वाले, रेहडी वाले, सब्‍जी वाले, हलवाई का हिसाब करता नजर आता है। उसी तरह उम्‍मीदवार हिसाब लगा रहा है-वोटिंग में कहां कहां से समर्थन मिला, किसको बाद में देखना, किसके तम्बू उखाड़ने हैं, किस को पी ए बनाना और किस को दुलत्‍ती मारनी है, किसे गले लगाना है और कार्यकर्ता मूंछों पर ताव देकर सोया पड़ा है।
मतदाता अब नहीं रहा। वह गुजर गया। उसे गुजरे भी चार घंटे हो गए। उसका क्रियाकर्म पूरा हो गया। उसे तवज्‍जो देने वाले, हार पहनाने वाले, उसे मिठाई खिलाने वाले, हरी पत्‍ती देने वाले और न जाने कितने गले मिलने वाले, हाथ मिलाने वाले, सबने शाम को पांच बजे मतदाता को मर दाता घोषित कर पांच साल के लिए हाथ जोड़ लिए और हाथ झटक दिए।
झम्‍मन के लिए यह कोई पहला चुनाव नहीं था। हर बार चुनाव में वे सोचते हैं कि अगली बार किसी के बहकावे नहीं आएंगे। हर बार यही होता है, घोषणा पत्र आता है और उसे दूसरे दिन झम्‍मन अपनी रद्दी की टोकरी के हवाले कर देते हैं। फिर जब चुनाव आता है तो वो पुराने घोषणा पत्र की बातें भूल जाते हैं और नए सिरे से वादों के जाल में फंस जाते हैं।
क्‍या झम्‍मन की तरह और मतदाताओं का अधिकार नहीं है कि वह अपने अधिकारों की रक्षा करे और जो वादे घोषणा पत्र में दिए गए थे, सत्‍ता में आने वाली पार्टी अगर उसे पूरा नहीं करती तो क्‍या अगले चुनाव तक वह दूसरी पार्टी का मुंह ताके। इस धोखाधड़ी के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं है। एक आता है, नौकरी देने की बात करता है, दूसरा आता है घर देने की बात करता है, लेकिन क्‍या संविधान में इस तरह का प्रावधान नहीं होना चाहिए कि जो उम्‍मीदवार मतदाताओं को लिखित आश्‍वासन देता है, उस पर धोखाधड़ी का केस चलाया जाए। नहीं ऐसा कोई कानून नहीं है, ठगने का अधिकार उम्‍मीदवारों को है और ठगे जाने की लाचारी मतदाताओं की है।
इस बार झम्‍मन ने सभी पार्टियों के घोषणा पत्र संभाल कर रख लिए हैं ताकि आगे आने वाले चुनाव में उम्‍मीदवारों से वोट मांगने आने पर पूछा जा सके कि आपने इन वादों को पूरा क्‍यों नहीं किया।
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