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ये हैं जुरिस्मिता, जो बस्ती के बच्चों को सिखाती हैं पत्रकारिता

कहते हैं जहां चाह वहां राह, आइये जानते है जुरिस्मिता पुजारी के बारे में जो सूरत के सरकारी विद्यालयों के बच्चों को पत्रकारिता सिखा रहीं हैं। जुरिस्मिता असम से हैं और जर्नलिज्म की पढ़ाई उन्होंने असम से ही पूरी की। 12 साल की उम्र से ही इन्होंने लिखना शुरू कर दिया था और शिक्षक दिवस के अवसर पर इनकी पहली कविता प्रकाशित हुई। बाद में इनकी रूचि विभिन्न संस्कृतियों, जीवनशैली और आजीविका की तरफ हुई और इन्होंने अपनी अलग-अलग जगहों की यात्रा के दौरान जुटाए हुए अनुभवों के ऊपर लिखना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे इनकी यात्रा पत्रकारिता से जुड़ गयी।

समाज को और बेहतर तरीके से समझने के लिए ये गांधी फेलोशिप के साथ जुड़ गयी। गांधी फेलोशिप में इनको सरकारी विद्यालयों के बच्चों के साथ काम करने का अवसर मिला। इनका मानना है कि बच्चों में बहुत सारी छुपी हुई प्रतिभा है, जिसे पहचान कर उनको एक रास्ता दिखाने की ज़रूरत है। फेलोशिप के दौरान इनको महसूस हुआ कि बच्चों की प्रतिभा को क्या पत्रकारिता के माध्यम से उभार सकते हैं?  इसी सोच के साथ ये पत्रकारिता के माध्यम से बच्चों को नेतृत्व के गुण सिखा रही हैं, जिसे उन्होंने नाम दिया है “संतवाणी– वाईस ऑफ़ द चाइल्ड”

संतवाणी– वाईस ऑफ़ द चाइल्ड के अंतर्गत ये बच्चों को समाचार लेखन, साक्षात्कार एवं लेख लिखने के गुण सिखा रही हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से इनके विचार और आवाज़ लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं।

बच्चों को भी विचार आते हैं, वो भी अपनी सोच लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं अक्सर बस्तियों में कुछ ऐसे गुमनाम नायक भी होते हैं जिनकी आवाज़ बाहर तक कभी नहीं आती लोगों को उनके बारे में जानने का मौका नहीं मिलता। संतवाणी के माध्यम से हम बच्चों को लोगों तक भी पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं – जुरिस्मिता पुजारी

फोटो आभार: इरशाद अनवर चिश्ती

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