“ सभी बच्चे स्कूल जायेंगे ,पढे़ंगे तो दिमाग बढ़ेगा जिससे और विकास कर सकेंगे।”
यह बात बाल पंचायत की एक बैठक में 10 साल के गुलशन ने कही। तीसरी क्लास का छात्र गुलशन बाल पंचायत का सक्रीय सदस्य है। आम तौर पर बड़े ऐसी बातें बच्चों को कहते रहते हैं लेकिन बच्चों के द्वारा ऐसी बातें कहना और उन्हें सुनना सुकून देता है। विकास के बारे में हमारा नज़रिया कुछ और हो सकता है लेकिन इसे बच्चों की नज़र से देखा जाना बेहद ज़रूरी है। इसलिए इन बच्चों को सुनाने के साथ उन्हें सुनना और उनकी बातों पर ध्यान देना होगा। संस्था निवसीड बचपन द्वारा प्रेरित बच्चों के समूह से जुड़े प्रमुख सदस्य माह में एक बार संकुल स्तरीय बैठक करते हैं। इस बार की बैठक भोपाल बांसखेडी बस्ती स्थित बाल गतिविधि केंद्र पर हुई। इसमें अब्बासनगर व बांसखेडी की हरियाली, गपशप एवं उत्सव समूह के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
बाल पंचायत के इस बैठक में पढ़ाई और तनाव को लेकर चर्चा हुई। इस मौके पर 18 बच्चों ने बताया कि उनके घरों में भी पढ़ाई को लेकर बोला ज़रूर जाता है लेकिन इतना दबाव नहीं होता कि बच्चे खुद के साथ हिंसा कर लें। उन्होंने यह भी बताया कि बड़े घरों में बच्चों पर ज़्यादा दवाब होता है।
गरीब बस्तियों के इन बच्चों में से कुछ ने पुलिस और कुछ ने टीचर बनने का सपना तो बताया लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि उनके मम्मी पापा बच्चों के सपनों के बारे में क्या सोचते हैं ? इसलिए कभी समय निकालकर ये बच्चे अपने पैरेंट्स से ज़रूर जानना चाहते हैं कि उनका क्या सपना है। बच्चों ने अपने समूह में कागज़ और मिटटी के खिलौने बनाना, समूह में खेल खेलना, बस्ती में स्वच्छता जागरूकता जैसी गतिविधियों के साथ ही बालविवाह, दहेज़, नशे को लेकर नाटक सीखे और प्रस्तुत किये हैं।
ऐसे समय जब मध्यप्रदेश सरकार और मीडिया के लोग 18 फरवरी को मध्यप्रदेश के स्कूलों में बच्चों को कथा कहानी सुनाने जा रहे हैं तो छोटे छोटे पहल कर रहे इन बच्चों को सुनना भी महत्वपूर्ण बन सकेगा।