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सर्वाइकल कैंसर से होती है हर 8 मिनट में एक महिला की मौत

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही हर किसी के मन में मृत्यु का डर बैठ जाता है, ऐसा कैंसर के प्रति जागरूकता के अभाव के कारण होता है। यदि समय रहते हुए इस बीमारी के बारे में पता चल जाये तो कैंसर का इलाज संभव है। पुरुष और महिलाएं दोनों को ही समान रूप से कैंसर की बीमारी अपनी गिरफ्त में लेती है, लेकिन महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर की सबसे ज़्यादा शिकार होती हैं।

नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (NICPR) के अनुसार भारत में प्रत्येक आठ मिनट में सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा कैंसर) के कारण एक महिला की जान चली जाती है। साथ ही ग्रामीण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा शहरी महिलाओं की तुलना में कहीं ज़्यादा होता है। NICPR के अनुसार भारत में सर्वाइकल कैंसर, तीसरे नंबर पर कैंसर से होने वाली मौत के लिये ज़िम्मेदार है। WHO के अनुसार दुनियाभर में 15 से 44 वर्ष तक की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से दूसरे नंबर पर सबसे ज़्यादा मौतें होती है और विश्वभर की महिलाओं की मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर है। साथ ही दुनियाभर में हर साल 2 लाख 66 हज़ार महिलाएं इस कैंसर की ग्रास बन रही है।

WHO की रिपोर्ट के अनुसार भारत और अन्य विकासशील देशों इस कैंसर से सबसे ज़्यादा महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। हर साल 5 लाख 27 हज़ार 624 नये मामलें सामने आते हैं, जिसमें से 2 लाख 65 हज़ार 672 की मौत हो जाती है। महिलाएं अभी भी अपने स्वास्थ्य के प्रति पुरानी लापरवाह सोच के कारण छोटी-मोटी बीमारियों को अनदेखा कर देती है साथ ही शर्म ,झिचक और जागरूकता की कमी के चलते सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का आकड़ा और भी बढ़ता जा रहा है।

क्या होता है सर्वाइकल कैंसर, वजह, लक्षण और इलाज-

महिलाओं की बच्चेदानी के तीन भाग सर्विक्स, यूटरस और वजाइना होते हैं। सर्विक्स, यूटरस और वजाइना के बीच से होकर जाता है। सर्विक्स विशेष प्रकार की कोशिकाओं से घिरा हुआ होता है और यह सतह की कोशिकाओं (सरफेस सेल्स) की एक पतली पर्त से ढका होता है। सरफेस सेल्स में ही गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर विकसित होता है। यह कैंसर सबसे पहले असमान्य तरीके से प्रीकैसरस सेल्स के रूप में विकसित होता है। बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि कि इम्युनिटी सिस्टम वाली महिलाओं में लगभग 15 से 20 साल बाद यह प्रीकैसरस सेल्स वास्तविक कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं जबकि कमजोर इम्युनिटी सिस्टम वाली महिलाओं में 5 से 10 साल का ही समय लगता है। ये कैंसर कोशिकाएं सर्विक्स की मांशपेशियों में फ़ैल जाती है जो कि सर्वाइकल कैंसर के लिये ज़िम्मेदार होता है।

सर्वाइकल कैंसर मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। सर्वाइकल कैंसर के बारे में वैदिकग्राम के सीइओ डॉक्टर पियूष जुनेजा का कहना है कि, “ज़्यादातर महिलाएं अशिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति टालमटोल रवैय्ये के चलते इसका शिकार हो जाती हैं। साथ ही यदि गरीब और अशिक्षित महिलाओं की बात छोड़ भी दें तो शिक्षित महिलाएं भी इसका शिकार हो रही हैं।” सर्वाइकल कैंसर के कुछ खास रिस्क फैक्टर हैं, मसलन एचपीवी इंफेक्शन, स्मोकिंग, बार-बार होने वाली प्रेग्नेंसी, एक से ज़्यादा सेक्सुअल पार्टनर और परिवार में सर्वाइकल कैंसर की हिस्ट्री।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों में असामान्य रक्तस्राव, वजाइना (योनि) से सफेद बदबूदार पानी का रिसाव, पेडु का दर्द, पेशाब करते वक्‍त दर्द, पीरियड्स के बीच में स्‍पाटिंग या सेक्स संबन्‍ध बनाने के बाद ब्‍लीडिंग होना। इसके बचाव के लिये और एचपीवी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए, 11 से 15 साल की लड़कियों में भी एचपीवी वैक्सीन ज़रूरी बताई गई है। पैप-स्मीयर जांच से पहले वीएसआई स्क्रीनिंग भी ज़रूरी है।

एचपीवी तीन चरणों में होने वाला वैक्सीनेशन है, जिसमें पहली डोज़ एक महीने, फिर दूसरी और तीसरी डोज़ छठे महीने में दी जाती है। साथ ही कैंसर की दूसरी स्टेज में उन अंगों को निकाल दिया जाता है जो अंग कैंसर से प्रभावित होते हैं। इसमें गर्भाशय और उसके आसपास के टिशू को निकल दिया जाता है। कीमोथेरेपी से भी सर्वाइकल कैंसर का इलाज होता है। कीमोथैरेपी में विषाक्त दवाओं का इस्तेमाल होता जिससे कैंसर की कोशिकाओं को मारा जाता है।

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