एक दिन जब मैं बस से भजनपुरा से कश्मीरी गेट जा रहा था तो शास्त्री पार्क के पास से 200 से 250 मुसलमान सफ़ेद टोपी व कुर्ता पैजामा पहने नमाज़ पढ़कर आ रहे थे। तो बस में उनके खिलाफ भद्दे-भद्दे कमेंट्स चालू हो गए। कोई बोल रहा था कि, “आज लग रहा कि कहीं आतंकवादी हमला होगा।” तो कोई बोल रहा था कि, “ये सब एक साथ किसको उड़ा कर आ रहे हैं।” जब उनसे पूछा कि ऐसा क्यूं बोल रहे हो, इन्होंने किसको उड़ा दिया है? तो उनका जवाब आया कि सभी आतंकवादी हमले मुसलमान ही तो करते हैं। तो वहीं एक महानुभाव ने कहा कि मज़ाक कर रहा हूं भाई।
क्या इसी मानसिकता के साथ हम एक ही देश में रह सकते हैं? एक या दो मुसलामानों की वजह से हम सभी मुसलामानों के लिए ऐसी मानसिकता बना लेंगे तो सबसे बड़े आतंकवादी हम ही होंगें। हमारे देश को मुसलमान के रूप में एक से एक हीरे मिले हैं। सर सैयद अहमद खां हों या अशफाक उल्ला खां हों, अब्दुल कलाम हों या उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी हों, दिलीप कुमार हों या शाहरुख खान हों। ये सब मुसलमान ही हैं।
2013 में श्रीलंका के कोलंबो में हुए साउथ अफ्रीका और श्रीलंका के बीच एक टेस्ट मैच में जब हाशिम अमला ने संगाकारा का कैच पकड़ा था तो उस समय कॉमेंट्री कर रहे डीन जोंस ने बोल दिया था कि, “आतंकवादी ने एक और कैच ले लिया।” इससे हाशिम अमला व अन्य प्रशंसकों को बहुत ही बुरा लगा था। हालांकि बाद में डीन जोंस ने हासिम अमला से माफ़ी मांगी थी। हाशिम अमला अपने धर्म इस्लाम का बहुत ही सख्ती से पालन करते हैं। जिसके तहत उन्होंने अपनी दाढ़ी बढा रखी है। डीन जोंस ने शायद यही समझा होगा कि दाढी बड़ी रखने वाला हर मुसलमान आतंकवादी होता है।
क्या धर्म की इज्ज़त करने वाले व उसके बताये गए पदचिन्हों पर चलने वाले हर मुसलमान को हम आतंकवादी कह देंगे? अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ चुनिंदा देशों के मुसलमानों को अमेरिका आने से मना कर दिया है। इस पर ट्रंप का अमेरिका सहित कई अन्य देशों में विरोध किया गया। चुनिंदा आतंकवादी मुसलामानों के कारण सभी को शक की निगाह से देखना सरासर गलत है।
बाबरी मस्जिद काण्ड में जब हिंदू कारसेवकों ने अयोध्या में मस्जिद गिराई, तो देश के कई इलाकों में सम्प्रदायिक दंगे हुए थे। इनमे बहुत से बेकसूर हिन्दू और मुसलामानों की जान गई थी। भिंडरावाले अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में बंदूक लेकर घुस गया था, भींडरावाले धर्म से सिख था। दो सिखों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद हिंदुओं ने सिखों को मारना शुरू कर दिया था, इसके चलते कई निर्दोष सिख मारे गए। क्या ये सब आतंकवाद नहीं है?
हाल ही में 17 फरवरी को पाकिस्तान में सिंध प्रांत में स्थित लाल शाहबाज़ कलंदर दरगाह में बम धमाके में 100 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई, जबकि 250 के करीब लोग घायल हो गए थे। अगर सब मुसलमान आतंकवादी हैं और इस्लाम आतंकवाद को पनाह देता है तो एक मुस्लिम धार्मिक स्थल में धमाका क्यूं किया गया? मुसलमान को आतंकवाद के साथ जोड़ा जा रहा है। इस्लाम को आतंकवाद के साथ जोड़ा जा रहा है। लेकिन असल में न तो सभी मुसलमान आतंकवादी होते हैं और ना ही इस्लाम आतंकवाद का समर्थन करता है।
रोहित Youth Ki Awaaz हिंदी के फरवरी-मार्च 2017 बैच के इंटर्न हैं।